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उत्तराखण्ड

राहुल गांधी के विवादित बयान से सिखो में आक्रोश,, कहा कि बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है,,ये कदापि सहन नहीं है कुलदीप सिंह ललकार,,

कुलदीप सिंह ललकार देहरादून

देहरादून कड़ा और पगड़ी सिखों के पंज ककारों में है शामिल, और सिखों का ताज व स्वाभिमान, राहुल गाँधी 1984 सिख क़त्ले आम की ना तो अब तक माफ़ी माँगी, ना जब बड़ा पैड़ गिरता है, तो धरती हिलती है पर आज तक चुपी धारण करने वाले आज सिखों के हित चिंतक बनने का दिखावा है . आज राष्ट्र वादी स्वाभिमानी पंजाबी मोर्चा व राष्ट्र वादी सिख मोर्चा ने विदेशी धरती अमरीका में सिखों को लेकर दिये बयानों की आलोचना व निंदा की चखु वाला स्थित कार्यलय में बैठक की अध्य्क्षता सयोजक कुलदीप सिंह ललकार ने कहाँ कि 1984 में सिखों का नरसंहार करने वाले आज सिखों के हिमायती बनने का दिखावा कर रहें है आज तक गाँधी परिवार ने सिखों से ना तो माफ़ी माँगी ना ही कोहि खेद प्रगट किया उस समय गुरु घरों पर हमलें कर सिखों को खत्म करने का कार्य किया और तो और उस समय राहुल गाँधी के पिता राजीव गाँधी प्रधानमंत्री थे जिन्होंने बड़ा पैड़ गिरने पर धरती हिलती है कह कर सिखों के क़त्ले आम को परोत साहन दें कर सही ठेराया था परन्तु कभी भी गाँधी परिवार ने 1984 सिख क़त्ले आम कि ना माफ़ी माँगी ना खेद प्रगट किया 1984 में सिखों की पगड़ीयों को उतरवाने के लिये कभी मुँह नहीं खोला अपितु सिखों के कातिलों को आपना खुला सरक्षण दिया सिख समाज 1984 के दिये नासूर को कभी नहीं भूल सकता है जबकि आजादी की जंग में सिखों ने सबसे अधिक बलिदान दिये चाहें फाँसी हो, काला पानी हो, उम्र कैद हो सबसे अधिक सिखों ने ही योगदान दिया और जवाहर लाल नेहरू डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया में सिखों के योग दान को मेहज़ 0.01 % दर्शा कर आपना सिख विरोधी सोच को दर साते है 1984 में सिखों को अशुरक्षित करने वाले उनकी जान लेने वाले आज आपने आप को सिखों का हित चिंतक दर्शा रहें है 1984 के सिख क़त्ले आम के पीड़ितओ के दुखो पर आज तक मरहम नहीं लगाया पर आज उन्हें सिख अशुरक्षित नजर आते है और ना आगे लगता है की ना गाँधी परिवार 1984 के सिख क़त्ले आम को लेकर माफ़ी मांगे गा वहीँ 1984 सिख क़त्ले आम व गुरु घरों में हुऐ हमलों को सिख समाज कभी भूला नहीं सकता है इस अवसर पर हरप्रीत सिंह, तलवेन्दर सिंह, हरभजन सिंह रेयात, मनोहर सिंह, कुलबीर कौर चन्नी, जास्किरत सिंह, दारा सिंह, अमित वर्मा, कृष्ण गोपाल रुहेला, देवेंद्र पाल मोंटी आदि मौजूद थे

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