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उत्तराखण्ड

माले’ के संस्थापक महासचिव कामरेड चारू मजूमदार के 52 वें शहादत दिवस पर उनके विचारों के आधार पर संघर्ष तेज करने का संकल्प!


लालकुआं आर्थिक संकट से निपटने में पूरी तरह असफल मोदी सरकार का बजट बड़े पूंजीपति वर्ग के मुनाफे को बढ़ाने के लिए। भाकपा(माले) के संस्थापक महासचिव कामरेड चारू मजूमदार के 52वें शहादत दिवस 28 जुलाई को पार्टी कार्यालय, दीपक बोस भवन, कार रोड बिन्दुख़त्ता में कार्यक्रम आयोजित किया गया।सर्वप्रथम कामरेड चारू मजूमदार और तमाम शहीद क्रांतिकारियों और राज्य में आपदा में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देते हुए एक मिनट का मौन रखा गया। शहादत दिवस पर कामरेड चारू मजूमदार के विचारों के आधार पर संघर्ष तेज़ करने और मजदूर-किसानों का राज लाने की लड़ाई को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया गया।

इस मौके पर ‘माले’ के वरिष्ठ नेता काॅमरेड बहादुर सिंह जंगी ने कहा कि, “भारत में मजदूर -किसानों का राज लाने और मजदूर वर्ग की क्रांति करने का सपना काॅमरेड चारू मजूमदार ने देखा था। चारू मजूमदार ने ही 1967 से शुरू हुए नक्सलबाड़ी के महान किसान आंदोलन का नेतृत्व किया था। गरीबों, भूमिहीनों को जमीन दिलाने और भूमि सुधार के लिए चला यह आंदोलन पूरे देश में फैल गया था। 1969 में चारू मजूमदार ने भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेेनिनवादी) की स्थापना की। 28 जुलाई 1972 को उनकी शहादत हो गई। भाकपा (माले) काॅमरेड चारू मजूमदार सहित तमाम क्रांतिकारियों के सपने को साकार करने के लिए आज भी संघर्षरत है और पूरे देश में मजदूर-किसानों, दलित, अल्पसंख्यकों, पिछड़े वर्ग, महिलाओं के संघर्षों में पूरी ताकत के साथ लगी है। आज के दौर में जब केन्द्र में बैठी फासीवादी मोदी सरकार के राज में दलितों, अल्पसंख्यकों , किसानों पर हमले बढ़ रहे है तब प्रत्येक पार्टी सदस्य को पूरे शिद्दत के साथ इन हमलों के प्रतिरोध मे उठ खड़ा होना होगा। काॅमरेड चारू मजूमदार का मेहनतकश वर्ग की मुक्ति का सपना आज के दौर में और भी अधिक प्रासंगिक हो गया है।”

भाकपा (माले) जिला सचिव काॅमरेड डॉ कैलाश पाण्डेय ने कहा कि, “आज कामरेड चारू मजुमदार की शहादत के बावनवें वर्ष में हम स्वयं को एक असाधारण परिस्थिति के बीच देख रहे हैं। न केवल जनता का जीवन, जीवनयापन के साधन और स्वतंत्रताओं पर गम्भीर खतरा मंडरा रहा है, बल्कि गणतंत्र को धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र की संवैधानिक प्रतिबद्धता से वंचित कर फासीवादी राष्ट्र के पिंजरे में कैद किया जा रहा है। इस चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना करने के लिए हमें पार्टी को सांगठनिक, राजनीतिक एवं वैचारिक तौर पर मजबूत बनाना होगा। इस उद्देश्य को हासिल करने के लिए एक मजबूत अभियान की आवश्यकता है.”

उन्होंने कहा कि, “केन्द्र में तीसरी बार आ चुकी मोदी सरकार आज जनता से किये गये सभी वायदों से मुकर गयी है। देश के एक सौ चालीस करोड़ लोगों की बात करने वाले मोदी जी आज सिर्फ अम्बानी-अडानी जैसे सिर्फ कुछ पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने में लगे हैं और जनता को उन्होंने बेतहाशा महंगाई, बेरोजगारी का तोहफा दिया है। आर्थिक संकट से निपटने में पूरी तरह असफल मोदी सरकार अपने बजट के माध्यम से बड़े पूंजीपति वर्ग के मुनाफे के लिए देश के शिक्षा, स्वास्थ्य, रेलवे, सरकारी रक्षा कम्पनियों को जबरन निजीकरण के रास्ते पर धकेल रही है। जो कि देश की अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचाने का काम है।”

कार्यक्रम में वरिष्ठ नेता बहादुर सिंह जंगी, डॉ कैलाश पांडेय, एडवोकेट दुर्गा सिंह मेहता, विमला रौथाण, पुष्कर सिंह दुबड़िया, नैन सिंह कोरंगा, जोगेंद्र लाल, मनोज आर्य, वीर भद्र सिंह भंडारी, सरिता जंगी, मुन्नी देवी, धीरज कुमार, कमल जोशी, हरीश भंडारी, निर्मला शाही, बिशन दत्त जोशी, गोपाल गड़िया, नारायण दत्त जोशी, आनंद सिंह दानू, ललित जोशी, त्रिलोक राम आदि लोग मौजूद थे। संचालन माले के बिंदुख़त्ता सचिव पुष्कर सिंह दुबड़िया ने किया। डा कैलाश पाण्डेय, जिला सचिव, भाकपा (माले) नैनीताल

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