Connect with us

उत्तराखण्ड

हरीश पंत निश्छल द्वारा मां पर एक कुमाऊनी कविता , मां पर (हमरि ईज)

मेरी एक कुमाऊनी कविता है मां पर (हमरि ईज) हरीश पंत निश्छल ,,
हर बखत औलादाक लिजि फिकर करें ईज।
ईज हुंणक हक अदा करें रोजै हमरि ईज।।
जेठा घामन हमार लिजि स्योऊ करें ईज।
नानतिन घर में भुक्खै नी रौ बौल करें ईज।।
च्योल घर बटिक भैर न्है गयो फिकर करें ईज।
जब तलक च्योल घर नी ऊंन चईयै रैजां ईज।।
बाड़ कठिन तप बर्त करें हमार लिजि ईज।
धिनाईक खातिर गोरु बाछ पालें हमार लिजि ईज।।
भागि छन ऊं बुड़ अधेड़ ज्यून छ जनैरि ईज।
उस बुंड़ांक तक नज़र उतारें आइ लै उनरि ईज।।
हरीश पंत निश्छलाक तर्बै ईजाक दिवस में हार्दिक बधै।

Ad Ad

More in उत्तराखण्ड

Trending News

Follow Facebook Page