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उत्तराखण्ड

नियम क्या है साहब हमे को पता भी है हमे तो डंपर चलाना है साहब,,

भले ही नियम लाख बन जाएं लेकिन ऐसा लगता कि नियमों का पालन करना किसी के अधिकार में नहीं है काशीपुर फोर लाइन पर जब इस दौरान नजर पड़ी तो रहा न गया, तो सवाल का जवाब मिल गया और सबूत भी पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी संसद एवं खनन एवं ओवर लोड का मुद्दा उठाया,लेकिन इस पर राजनीति में हलचल मच गई,,एवं सूबे के मुख्यमंत्री ने इसको संज्ञान में लिया की संसद में सवाल उठाए गए तो लाज़मी उत्तराखंड की प्रतिष्ठा का सवाल बन गया था लेकिन जब इस तरह के कार्य पूंजीपतियों के हाथ में हो वो इन सवालों पर ध्यान नहीं देते हैं,उनका सीधा मतलब है, नियमों के विपरित चलना ,जब मोटर व्हीकल एक्ट में वाहन की श्रमता अनुसार ही भार ढोने की अनुमति दी जाती है, लेकिन हाइवे पर ओवर लोड डंपर किस बात का संदेश दे रहे हैं कि ये नियम हमारे लिए लागू नहीं होता है या परिवहन विभाग की अनदेखी को दर्शाता है कुल मिलकर जब कोई दुर्घटना घटित होती है तब परिवहन विभाग के हाथ पांव फूलते हुए नजर आते हैं तब किस अधिकारी पर गाज गिर जाए ये ईश्वर ही जानता है,,इस तरह से ओवर लोड डंपर अगर हाइवे पर चलेंगे तो निश्चित ही दुर्घटना लाज़मी है, क्योंकि इनकी स्पीड पर सवाल उठते हैं,

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