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उत्तराखण्ड

बैठा सोढ़ी पातशाह रामदास सतगुरु कहावे”,चौथे गुरु श्री गुरु रामदास जी का प्रकाश पर्व श्रद्धा और उत्साह से मनाया गया,

हल्द्वानी,,आवास विकास कॉलोनी की समूह संगत द्वारा आज दिनांक 8 अक्टूबर 2025 को सिखों के चौथे गुरु श्री गुरु रामदास जी का प्रकाश पर्व बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। सुबह 5 बजे से 7:30 बजे तक संगती रूप में नाम सिमरन एवं चल रहे श्री सहज पाठ साहिब की सम्पूर्णता हुई। इसके उपरांत 10 बजे से 3 बजे तक विशेष दीवान सजाए गए, जिसमें संगत ने बड़ी संख्या में भाग लिया।कार्यक्रम की शुरुआत हल्द्वानी समूह गुरुद्वारा साहिब के कीर्तनीयों द्वारा मनोहर कीर्तन से हुई। इसके पश्चात खटीमा से आए प्रचारक भाई हरदेव सिंह जी ने गुरु साहिब के जीवन के बारे में विस्तारपूर्वक बताया। उन्होंने जानकारी दी कि गुरु रामदास जी का जन्म लाहौर में 24 सितम्बर 1534 को हुआ था एवं 1 सितम्बर 1581 को ज्योति जोत समा गए। गुरु अमरदास साहिब जी ने उन्हें हर दृष्टि से गुरु बनने के योग्य पाया और 10 सितम्बर 1574 को उन्हें चौथे नानक के रूप में स्थापित किया। गुरु रामदास जी ने ही ‘चक रामदास’ की नींव रखी, जो बाद में अमृतसर कहलाया।गुरु जी ने सिख धर्म में आनंद कारज के लिये चार लावों (फेरों) का सृजन किया और सरल विवाह की गुरमत मर्यादा पूरे समाज में रखी। उन्होंने सिक्ख पंथ को एक विलक्षण वैवाहिक पद्धति दी और गुरु का लंगर परंपरा को बढ़ाया। उन्होंने अंधविश्वास, जातिवाद जैसी सामाजिक कुरीतियों का कड़ा विरोध किया।कथावाचक जी के बाद कीर्तनीय भाई गुरप्रीत सिंह जी (शिमला वाले) ने मनोहर कीर्तन कर श्रद्धा का वातावरण बना दिया। उन्होंने ‘गुरु रामदास राखो शरणाई’, ‘वस मेरे पियरेआ’, ‘कर्ता घर आया’ आदि शब्दों का गायन किया, जिसमें संगत ने उत्साहपूर्वक सहभागिता की।अंत में हेड ग्रंथि भाई ठाकुर सिंह जी द्वारा अरदास और हुकमनामा लिया गया और दीवान का समापन हुआ। समूह संगत ने कड़ाह प्रसाद व लंगर छक कर गुरु साहिब का धन्यवाद किया। कार्यक्रम में आवास विकास की समूह संगत, युवा वर्ग और हल्द्वानी की साध संगत ने भाग लिया।

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