उत्तराखण्ड
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने निकाला बाल पथ संचलन,,
हल्द्वानी, : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हल्द्वानी नगर के बाल विद्यार्थियों का पथ संचलन एमबीपीजी कॉलेज से तिकोनिया चौराहा होते हुए वापस एमबीपीजी कॉलेज तक निकाला गया। एमबीपीजी कॉलेज में सैकड़ों बाल स्वयंसेवक एकत्रित हुए। इस अवसर पर संघ पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सेवा प्रमुख श्री धनीराम एवं नगर संघचालक विवेक कश्यप ने भारत माता तथा संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार और पूज्य गुरुजी के चित्रों पर पुष्पांजलि अर्पित की।क्षेत्र सेवा प्रमुख धनीराम ने बौद्धिक सत्र में बताया कि जब-जब भारत माता की गोद में राष्ट्र पुनर्जागरण की आवश्यकता पड़ी, तब-तब महापुरुषों ने अपने जीवन की आहुति देकर समाज को नई दिशा प्रदान की। परम पूज्य डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ऐसे ही एक महान विभूति थे, जिनका जन्म राष्ट्र को पुनर्जागृत करने वाली विचारधारा के रूप में हुआ। उन्होंने मां भारती की सेवा को जीवन का परम ध्येय बनाया और अनुभव किया कि समाज संगठित न होने तक भारत अपना गौरव प्राप्त नहीं कर सकेगा। इसी उद्देश्य से उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की—एक ऐसा संगठन जो भारत की सांस्कृतिक आत्मा को जागृत कर ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना जन-जन तक पहुंचाए।श्री धनीराम ने कहा कि आज संघ रूपी वटवृक्ष की छाया में करोड़ों राष्ट्रभक्त सेवा, संस्कार और राष्ट्रनिष्ठा की साधना कर रहे हैं, जो डॉ. हेडगेवार के त्याग, तपस्या और दूरदृष्टि से अंकुरित बीज का फल है। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, किंतु उनका लक्ष्य केवल राजनीतिक स्वतंत्रता तक सीमित नहीं था। वे भारत को आत्मगौरव, सांस्कृतिक पुनरुत्थान और राष्ट्रभावना से ओत-प्रोत देखना चाहते थे। डॉ. हेडगेवार केवल संगठन के संस्थापक ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय पुनर्जागरण के महायज्ञ के यजमान थे। उनका संकल्प था—हिंदू समाज को संगठित कर इतना जागरूक, शक्तिशाली और अनुशासित बनाना कि वह राष्ट्र की रक्षा एवं उत्थान में अपनी भूमिका निभा सके।उन्होंने जोर देकर कहा कि कलयुग में संगठित शक्ति ही देश-दुनिया का मार्गदर्शन कर सकती है। आज भारतवर्ष के बाहर 18 देशों में गीता पर पीएचडी हो रही है, 57 देशों में दीपावली मनाई गई और तुलसी पूजा भी विदेशों में हो रही है। हिंदू संस्कृति ही विश्व को दिशा दे सकती है। भारत ने जीरो और दशमलव की खोज की, संस्कार-ज्ञान बांटा और आगे भी करता रहेगा। ‘ओम जय जगदीश हरे’ जैसी आरती अन्य धर्मों के लोग भी बड़े चाव से गा रहे हैं। हिंदू विचारधारा विश्व का मार्गदर्शन करेगी, क्योंकि पदचिह्न बनाने वाला ही सुरमा पूजा जाता है। हमें प्रश्नों पर चलने की बजाय पदचिह्न बनाने हैं, ताकि आने वाली पीढ़ियां चुनौतियों का सामना कर सके। हमारे पूर्वजों के कार्य को आगे बढ़ाते हुए हिंदुत्व की विचारधारा घर-घर पहुंचानी है। यहां सांता नहीं, संतों की जरूरत है—भगवान राम और कृष्ण जैसे, जिन्होंने विश्व को दिशा दी। जब-जब धर्म की हानि हुई, तब-तब प्रभु ने अवतार लिया।पथ संचलन में नगर संघचालक विवेक कश्यप, जिला प्रचारक जितेंद्र, नगर प्रचारक प्रभाकर, नगर कार्यवाह प्रकाश, जिला शारीरिक प्रमुख सूरज, सहजिला बौद्धिक प्रमुख कमलेश, नगर शारीरिक प्रमुख कमल, नगर प्रचार प्रमुख डॉ. नवीन शर्मा, नगर व्यवस्था प्रमुख गिरीश, मुख्य शिक्षक विनीत पांडेय, सह नगर कार्यवाह तनुज गुप्ता, प्रह्लाद मेहरा, उपनगर कार्यवाह ललित, हिमांशु, रूपचंद्र, योगेश आदि स्वयंसेवक उपस्थित रहे।










