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उत्तराखण्ड

निजी अस्पतालों ने आयुष्मान भारत योजना कर्मचारी राज्य बीमा योजन से किनारा कर लिया, भुगतान में देरी ,एवं भ्रष्टाचार का आरोप,,,

सरकारी योजनाओं के तहत अस्पतालों में मुफ्त इलाज का जो प्रचार किया जाता है, वह कई बार व्यावहारिक रूप से पूर्ण रूप से लागू नहीं होता। खासकर निजी अस्पताल इस तरह की सरकारी योजनाओं से कई कारणों से किनारा कर लेते हैं। इनमें प्रमुख कारण हैं—भुगतान की अनिश्चितता और विलंब, कमीशन की मांग, भ्रष्टाचार की स्थिति, और आर्थिक बोझ जिसे अस्पताल सहन नहीं कर पाते।निजी अस्पतालों की नाराजगी के कारणसरकारी योजनाओं के तहत इलाज के खर्च का भुगतान निजी अस्पतालों को समय पर नहीं होता, जिससे उनके संसाधन, कर्मचारियों की वेतन भुगतान व अन्य खर्च प्रभावित होते हैं।कई अस्पताल कहते हैं कि इलाज के पैकेज अस्पताल खर्च के अनुरूप नहीं होते और बिलों की रिलीज की कोई निश्चित समय सीमा नहीं होती, इससे वे आर्थिक दबाव में आ जाते हैं।भुगतान में कमीशन या रुक्तान की मांग होती है, जो भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है और अस्पताल इसे स्वीकार नहीं करते।इसके अलावा, अस्पतालों में एक विशेष अधिकारी को लगातर सरकारी तंत्र के दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं, जिससे उनके लिए यह योजना अपनाना कठिन हो जाता है।ESIC और आयुष्मान योजना का प्रभावESIC (कर्मचारी राज्य बीमा) योजना निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए सहायक हो सकती है, परंतु पूरे प्राइवेट अस्पताल इसे पूरी तरह अपनाने के लिए उत्सुक नहीं हैं।आयुष्मान भारत योजना के तहत 5 लाख तक मुफ्त इलाज का दावा होता है, लेकिन कई गंभीर रोगों का इलाज इसमें शामिल नहीं है और कई अस्पताल इस योजना से दूरी बनाए रखते हैं।भुगतान में देरी के कारण अस्पतालों की सेवाओं पर विपरीत असर पड़ता है, जिससे मरीजों को इलाज मिलने में दिक्कत होती है।समस्या का व्यापक सामाजिक और प्रशासनिक असरसरकारी योजनाओं के प्रचार और वास्तविकता में अंतर मरीजों की निराशा और असंतोष बढ़ाता है।इलाज के लिए तमाम झंझट और भ्रष्टाचार की बात सामने आने से सिस्टम पर जनता का विश्वास कम होता है।कई बार बड़े सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में भी अनियमितताएं और भुगतान में देरी के कारण सेवाएं बाधित होती हैं।सरकारों को चाहिए कि वे निजी अस्पतालों के आर्थिक व प्रशासनिक मुद्दों को समझते हुए भुगतान प्रक्रिया को पारदर्शी, निर्बाध और समयबद्ध बनाएं और अस्पतालों को विश्वास में लेकर योजनाओं का संशोधन करें ताकि जनता को वांछित मुफ्त इलाज की सुविधा पहुंच सके और निजी अस्पताल भी योजना से जुड़ें बिना किसी बाधा के

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