उत्तराखण्ड
एक सलामी, एक संवेदना: राज्यपाल गुरमीत सिंह और पंतनगर का प्रेरक क्षण,
पंतनगर विश्वविद्यालय के रास्ते पर एक दृश्य बार-बार दोहराता रहा। उत्तराखण्ड के माननीय राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि.) का काफ़िला गुजरता, और हर बार लगभग 14–15 वर्ष का एक किशोर पूरे मन से सलामी देता। उस सलामी में न औपचारिकता थी, न दिखावा—बस वर्दीधारी लोगों के प्रति उसका सहज सम्मान और मासूम आकर्षण था।यह दृश्य दो-तीन बार दोहराया गया। हर बार राज्यपाल महोदय ने उस बच्चे को देखा, पहचाना और अंततः तीसरी बार उन्होंने अपने एडीसी को बुलाकर उस बच्चे के बारे में जानकारी ली। पता चला कि वह बालक बौद्धिक विकास की एक चुनौतीपूर्ण अवस्था से गुजर रहा है, पर उसकी आँखों में देश, अनुशासन और वर्दी के प्रति असाधारण उत्साह झलकता है।राज्यपाल महोदय ने तत्पश्चात उसे और उसके माता-पिता को विश्वविद्यालय गेस्ट हाउस में आमंत्रित किया। वहाँ उन्होंने न केवल उससे आत्मीयता से बातें कीं, बल्कि उसके उत्साह की सराहना की और उसके माता-पिता के धैर्य व समर्पण को सम्मान दिया।यह केवल एक मुलाक़ात नहीं थी—यह उस नेतृत्व का परिचायक था जहाँ संवेदनशीलता पद से ऊपर होती है, जहाँ प्रत्येक छोटे प्रयास को महत्व दिया जाता है, और जहाँ लोगों के दिल जीतना किसी भी प्रोटोकॉल से अधिक मूल्यवान माना जाता है।ऐसे बच्चों और उनके परिवारों के लिए यह पल केवल प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि हृदय-स्पर्शी प्रेरणा का क्षण था।कभी-कभी एक सलामी और एक स्नेहभरा स्पर्श किसी बच्चे की पूरी दुनिया रोशन कर देता है।
और यही—राज्यपाल गुरमीत सिंह जी की सबसे सुंदर पहचान है।












