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उत्तराखण्ड

यूओयू में भारतीय ज्ञान परम्‍परा के पाठ्यक्रमों को अध्ययन बोर्ड की मिली मान्यता,

हल्द्वानी,,,भारतीय ज्ञान परम्‍परा के अंतर्गत विविध विधाओं में 26 कोर्स को मिली मान्‍यता

· बोर्ड में 6 बाह्य सदस्‍यों ने किया प्रतिभाग

· मानविकी विद्याशाखा के अंतर्गत शुरू होंगे भारतीय ज्ञान परम्‍परा विभाग के सभी कोर्स

· बाद में भारतीय ज्ञान परम्‍परा के नाम से खूलेगी नई विद्याशाखा

उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में भारतीय ज्ञान परम्परा के अंतर्गत विभिन्न विषयों को शुरू करने की विश्‍वविद्यालय की विभागीय अध्‍ययन बोर्ड ने दी संस्‍तुति। मंगलवार को अध्ययन बोर्ड की बैठक विश्‍वविद्यालय के सभागार में सम्पन्न हुई। बैठक में 6 बाह्य सदस्यों के अलावा विश्वविद्यालय के सभी विभागों के कोर्स समन्वयक मौजूद थे। बैठक मानविकी विद्याशाखा के निदेशक प्रो. रेनू प्रकाश की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई।

विश्वविद्यालय के भारतीय ज्ञान परम्परा के मुख्य समन्वयक प्रो. मदन मोहन जोशी ने सभी कोर्स की पाठ्य संरचना की कार्यसूची बोर्ड के सदस्‍यों के सामने रखी। मुख्‍य समन्‍वयक प्रो. जोशी ने कहा कि अध्‍ययन बोर्ड की बैठक से पूर्व इसी माह 11 फरवरी को विषय विशेषज्ञों की बैठक आयोजित कराई गई थी। बैठक में अलग- अलग विधा के राष्‍ट्रीय स्‍तर के लगभग 20 विशेषज्ञों ने प्रतिभाग कर पाठ्यक्रम संरचनाओं को तैयार कर इसे अध्‍ययन बोर्ड के लिए संस्‍तुति प्रदान की थी, जिन्‍हें अध्‍ययन बोर्ड बैठक के सदस्‍यों के समुख रखा गया और सदस्‍यों से प्राप्‍त कुछ सुझावों को शामिल कर पाठ्यक्रमों में संशोधन किया गया । तत्‍पश्‍चात् संशोधित पाठ्यक्रम संरचनाओं पर अध्‍ययन बोर्ड द्वारा अपनी स्‍वीकृति प्रदान की गई। प्रो. जोशी ने कहा कि अभी इन कोर्स को मानविकी विद्याशाखा के अंतर्गत संचालित किया जायेगा बाद में राजभवन से भारतीय ज्ञान परम्‍परा के नाम से नई विद्याशाखा की मान्‍यता मिलने पर इन्‍हें इस नई विद्याशाखा के अंतर्गत संचालित किया जायेगा। यह विश्‍वविद्यालय की 15 वीं विद्याशाखा होगी ।

अध्‍ययन बोर्ड की बैठक में एसएसजे श्विविद्यालय अल्‍मोडा के पूर्व कुलपति प्रो. एन. एस. भण्‍डारी, एसएसजे श्विविद्यालय अल्‍मोडा परिसर निदेशक प्रो. प्रवीण विष्‍ट, कुमाऊं विश्‍वविद्यालय नैनीताल से प्रो. नीता बोरा शर्मा, प्रो. जया तिवारी, प्रो. आर. के. पाण्‍डेय तथा प्रो. शिरीश मौर्य शामिल थे तथा मुक्‍त विश्‍वविद्यालय से विषय समन्‍वयक के रूप में प्रो. डिगर सिंह फर्सवाण, प्रो. अरविन्‍द भट्ट , डॉ. घनश्‍याम जोशी, डॉ दीपांकुर जोशी, डॉ. राजेन्‍द्र कैड़ा, डॉ. शलिनी सिंह, डॉ. गौरी नेगी, डॉ. दीपक कमार, डॉ. प्रीति बोरा, डॉ. नीरज जोशी, डॉ. भास्‍कर पुरोहित, डॉ. भाग्‍यश्री जोशी, डॉ. रंजू पाण्‍डेय, डॉ. द्विजेश उपाध्‍याय, डॉ. उवर्शी ध्‍यानी, डॉ. ऋतंभरा नैनवाल, डॉ. विकास जोशी आदि शामिल थे।

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