उत्तराखण्ड
हल्द्वानी बना टैक्स चोरी का अड्डा, सरकारी खजाने को करोड़ों का चूना, विभागीय मिलीभगत पर उठे सवाल,
हल्द्वानी। कुमाऊं का प्रवेश द्वार कहलाने वाला हल्द्वानी अब टैक्स चोरी का गढ़ बनकर प्रदेश सरकार के राजस्व पर बड़ा हमला कर रहा है। ट्रांसपोर्ट कारोबारियों की मिलीभगत से रोजाना सरकारी खजाने को लाखों रुपये की चपत लग रही है। स्थिति यह है कि टैक्स चोरी का यह खेल अब किसी रहस्य से कम नहीं, बल्कि खुला राज बन चुका है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस पूरे खेल में स्थानीय प्रशासन और राज्य कर विभाग के अफसरों की भूमिका भी संदिग्ध बताई जा रही है।
आपसी खींचतान से खुला राज
सूत्रों के अनुसार, टैक्स चोरी के इस बड़े खेल का पर्दाफाश आपसी खींचतान की वजह से हुआ। लंबे समय से टैक्स चोरी में शामिल एक कारोबारी ने ही नाराज होकर इसकी शिकायत प्रशासन और विभागीय अधिकारियों से कर दी। यही कारोबारी हल्द्वानी में टैक्स चोरी का किंग मेकर माना जाता है। बताया जाता है कि इसी ने वर्षों पहले यहां बिना टैक्स और बिना बिल के माल की आपूर्ति शुरू करवाई थी।
धड़ल्ले से पहुंच रहा बिना टैक्स का माल
सूत्रों के मुताबिक, ट्रांसपोर्ट नगर में तराई क्षेत्र के 8 से 10 बड़े कारोबारी चोरी-छिपे बाहरी राज्यों और जनपदों से बिना टैक्स और बिना बिल का माल धड़ल्ले से मंगवा रहे हैं। दिल्ली और बरेली से आने वाले इन मालों में किराने का सामान, कपड़ा, जूते, कॉस्मेटिक और गुटखा (तंबाकू उत्पाद) तक शामिल हैं।
चार गुना तक अधिक भाड़ा, सरकार को भारी नुकसान
यह टैक्स चोरी का माल पहाड़ लाइन के ट्रांसपोर्ट कारोबारी चार से पांच गुना अधिक भाड़ा लेकर गंतव्य तक पहुंचाते हैं। कारोबारियों की यह चालबाजी प्रदेश सरकार के खजाने को रोजाना लाखों और सालाना करोड़ों का नुकसान पहुंचा रही है।
विभाग की चुप्पी पर सवाल
सबसे अहम सवाल यह है कि जब इतना बड़ा खेल खुलेआम चल रहा है तो फिर विभागीय अधिकारी मौन क्यों हैं? क्या यह खेल विभागीय मिलीभगत के बिना संभव है? फिलहाल, शिकायत के बाद से कारोबारियों में हड़कंप मचा हुआ है, लेकिन टैक्स चोरी का धंधा पूरी तरह थमा नहीं है।
प्रदेश के सबसे बड़े वाणिज्यिक शहर हल्द्वानी से जुड़ी इस बड़ी टैक्स चोरी ने न सिर्फ प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि सरकार की राजस्व नीति को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है।















