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उत्तराखण्ड

लेफ्ट जर्नल (से नि),राज्यपाल गुरमीत सिंह ने कैंब्रियन हॉल ऑडिटोरियम में लेफ्टिनेंट जनरल शक्ति गुरुंग (से नि) की आत्मकथा ‘‘ब्रेकिंग द ग्लास सीलिंग’’ पुस्तक का किया विमोचन,

देहरादून,,राज्यपाल Lt Gen Gurmit Singh ने आज कैंब्रियन हॉल ऑडिटोरियम में लेफ्टिनेंट जनरल शक्ति गुरुंग (से नि) की आत्मकथा ‘‘ब्रेकिंग द ग्लास सीलिंग’’ पुस्तक का विमोचन किया। ब्रेकिंग द ग्लास सीलिंग पुस्तक एक आत्मकथा पर आधारित है, जो भारतीय सेना में उच्च पद तक पहुंचने वाले पहले गोरखा अधिकारी की यात्रा को दर्शाती है। शक्ति गुरुंग गोरखाओं की पारंपरिक सेवा रेजिमेंटों से अलग, उन्होंने द ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट से कमीशन प्राप्त किया और उसी रेजिमेंट के कर्नल बने। उन्होंने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर एक अग्रिम कोर की कमान संभाली और सेना मुख्यालय में मिलिट्री सेक्रेटरी के रूप में सेवानिवृत्त हुए। पुस्तक विमोचन के अवसर पर राज्यपाल ने जनरल गुरुंग की सराहना करते हुए कहा, “यह पुस्तक युवाओं, विशेषकर रक्षा सेवाओं में जाने वालों के लिए प्रेरणास्रोत और मार्गदर्शक सिद्ध होगी।” उन्होंने कहा कि यह आत्मकथा व्यक्तिगत अनुभवों, रोचक प्रसंगों और ऐतिहासिक तथ्यों से भरपूर है। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक न केवल जनरल गुरंग की सैन्य यात्रा को प्रस्तुत करती है, बल्कि भारतीय गोरखा समुदाय की पहचान, उनकी परंपराएं और भारत की राष्ट्र-निर्माण में उनकी भूमिका को भी उजागर करती है। राज्यपाल ने कहा कि मुझे प्रसन्नता है कि ब्रेकिंग द ग्लास सीलिंग में जनरल गुरुंग ने न केवल अपनी सेवा के विशिष्ट अनुभवों को साझा किया है, बल्कि भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों, जम्मू-कश्मीर और म्यांमार जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में अपनी भूमिका के माध्यम से, भारत की सामरिक रणनीति और सैन्य कूटनीति का गहराई से विश्लेषण भी प्रस्तुत किया है। इस पुस्तक के पन्नों में जो सीखें समाहित हैं, वे न केवल सैनिकों के लिए बल्कि सिविल सेवकों, शिक्षकों, विद्यार्थियों और सामान्य नागरिकों के लिए भी समान रूप से उपयोगी हैं। उन्होंने कहा कि सैनिकों से हम न केवल साहस और पराक्रम की प्रेरणा पाते हैं, बल्कि हमें यह भी सीखने को मिलता है कि ‘कर्तव्य’ क्या होता है। भारतीय सेना में वह क्षमता है कि वह नेतृत्व, नैतिकता और राष्ट्र सेवा के उच्चतम मानकों को स्थापित करे। मेरा यह दृढ़ मत है कि यदि हर नागरिक अपने कार्यक्षेत्र में सैन्य अनुशासन, निष्ठा और दक्षता को अपनाए, तो “विकसित भारत” और “विकसित उत्तराखंड” का लक्ष्य दूर नहीं है। राज्यपाल ने विश्वास व्यक्त किया कि ब्रेकिंग द ग्लास सीलिंग न केवल एक प्रेरणादायक आत्मकथा के रूप में अपनी पहचान बनाएगी, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मार्गदर्शक ग्रंथ के रूप में भी स्थापित होगी। इस अवसर पर श्रीमती मधु गुरूंग, मेजर जनरल शम्मी सबरवाल सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

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