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उत्तराखण्ड

उप जिला मजिस्ट्रेट नैनीताल कोर्ट ने हल्द्वानी निवासी हिशांत के खिलाफ शांति भंग का मामला खारिज किया, पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठे गंभीर सवाल,

हल्द्वानी। नैनीताल एसडीएम कोर्ट ने आज हल्द्वानी निवासी हिशांत के खिलाफ 107/116 सीआरपीसी के तहत दर्ज शांति भंग के मामले को खारिज कर दिया। यह मामला उस समय दर्ज किया गया था जब हिशांत ने रामगढ़ के सूपी गांव में वन पंचायत की जमीन पर हो रहे अवैध अतिक्रमण और निर्माण के खिलाफ शिकायत की थी। हिशांत की शिकायत के परिणामस्वरूप, जमीन पर अवैध कब्जा करने और खरीद-फरोख्त करने वाले व्यक्तियों ने उन पर हमले का प्रयास किया और उन्हें धमकी दी। ऐसे में, हिशांत ने पुलिस से सुरक्षा की मांग की थी।

हालांकि, पुलिस ने हिशांत की शिकायत पर कार्रवाई करने के बजाय, उल्टा उन पर ही शांतिभंग का मामला दर्ज कर दिया। आज कोर्ट ने इस मामले को बेबुनियाद मानते हुए निरस्त कर दिया, जो पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्न उठाता है।

हिशांत ने तहसील और पुलिस प्रशासन से लेकर मंडलायुक्त तक लगातार शिकायतें की, लेकिन किसी भी स्तर पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने इस मुद्दे पर माननीय मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को पत्र भेजकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी।

आज की सुनवाई हेतु, एसडीएम ने थानाध्यक्ष मुक्तेश्वर को समन जारी करते हुए साक्ष्य प्रस्तुत करने का आदेश दिया था, लेकिन थानाध्यक्ष कोर्ट में उपस्थित नहीं रहे। जब एसडीएम महोदया ने दूरभाष पर उनसे संपर्क किया गया, तो थानाध्यक्ष ने यह स्वीकार किया कि शांति भंग की कोई वास्तविक संभावना नहीं थी और मामला खारिज किया जा सकता है। इस पर कोर्ट ने मामले को निरस्त कर दिया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि पुलिस ने मामले का अनुचित इस्तेमाल किया।

यह निर्णय उन सभी नागरिकों के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है, जो वन पंचायत और सार्वजनिक भूमि की सुरक्षा के लिए आवाज उठाते हैं। मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई से ही इस तरह के अवैध अतिक्रमण को रोका जा सकता है और झूठे मामलों के दुरुपयोग पर अंकुश लगाया जा सकता है।

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