उत्तराखण्ड
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और फेडरेशनों द्वारा आहूत 28-29 मार्च की दो दिवसीय अखिल भारतीय आम हड़ताल
यूनियनों का संयुक्त समन्वय, हल्द्वानी के बैनर तले हल्द्वानी की सभी यूनियनों ने केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और फेडरेशनों द्वारा आहूत 28-29 मार्च की दो दिवसीय अखिल भारतीय आम हड़ताल के पहले दिन हिस्सा लेकर अपने अपने कार्यालयों और संस्थानों में हड़ताल की व बुद्धपार्क में संयुक्त प्रदर्शन व सभा का आयोजन किया। जिसमें ऐक्टू, बीमा कर्मचारी संघ, बैंक यूनियन ए आई बी ओ ए, उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन, यूनियन बैंक ऑफिसर्स स्टाफ एसोसिएशन,
सनसेरा श्रमिक संगठन, भाकपा (माले), आइसा, उत्तर प्रदेश उत्तराखंड मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन, सीटू, पंजाब बेवल गियर्स वर्कर्स यूनियन, बीएसएनएल कैजुअल एंड कॉन्ट्रेक्ट वर्कर्स यूनियन, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन, प्रगतिशील भोजनमाता यूनियन, उत्तराखंड निर्माण मजदूर यूनियन, अखिल भारतीय किसान महासभा, परिवर्तनकामी छात्र संगठन आदि के प्रतिनिधि मौजूद रहे।
बुद्ध पार्क में ट्रेड यूनियनों की संयुक्त सभा को संबोधित करते हुए विभिन्न ट्रेड यूनियन नेताओं ने कहा कि, “‘अच्छे दिन’, ‘सबका साथ-सबका विकास’, आदि – मोदी सरकार द्वारा बारंबार दोहराये जाने वाले नारे व वादे जुमले साबित हो चुके हैं. मोदी शासन में, करोड़ों कामगार गरीबी और भुखमरी के दलदल में और ज्यादा डूब गये हैं, वहीं कुछ बेहद अमीरों ने अपनी दौलत को कई अरब और बढ़ा लिया है, और आज राष्ट्र की 77 प्रतिशत संपत्ति 1 प्रतिशत अमीरों के कब्जे में है. जबकि, लाखों प्रवासी मजदूरों के वे घाव अभी भी सूखे नहीं हैं जो उन्हें कोविड की पहली लहर में क्रूर लॉकडाउन में उनके जीवन और जीविका के विनाश से मिले थे. कोविड के खिलाफ फ्रंटलाइन वर्कर्स, खासकर लाखों आशा कर्मी, केंद्र और राज्य सरकारों के हाथों ठगा महसूस कर रहे हैं. कामगार और आम अवाम को दुखों व कष्टों में तड़पने के लिये छोड़ दिया गया; मोदी सरकार ने इन्हें कोरोना की आपदा के समय कोई वित्तीय सहायता नहीं दी, यहां तक कि जो वादे किये थे उन्हें भी पूरा करने की कोई कोशिश नहीं की. इस पूरी स्थिति ने सरकार की आम लोगों के प्रति आपराधिक संवेदनहीनता को उजागर कर दिया. और ऐसे समय में, यह क्रूर मोदी सरकार कोरोना आपदा को कॉरपोरेट और धनिकों का “साथ और विकास” मजबूत करने के लिये अवसर के बतौर इस्तेमाल करने में लगी हुई थी और कामगारों को बदहाली और गुलामी में धकेल रही थी.”
वक्ताओं ने कहा कि, ‘हर साल 2 करोड़ नौकरियों देने’ के वादे के बरखिलाफ, मोदी सरकार की नीतियों, नोटबंदी समेत, ने रोजगार व आजीविका का व्यापक विनाश किया जिसके चलते पिछले चंद सालों में 20 करोड़ से अधिक रोजगार खत्म हो गये, और छंटनी एवं बंदी एक आम बात बन गई है. सरकारी विभागों में लाखों खाली पड़े हुये पद भरे नहीं जा रहे हैं. आम, गरीब लोगों को रोजगार और एक मजबूत व अर्थपूर्ण सामाजिक सुरक्षा देने के जरिये उन्हें आत्मनिर्भर और खुशहाल बनाने के बजाये मोदी सरकार उन्हें बीच-बीच में मुट्ठी भर राशन देने के जरिये ‘लाभार्थी’ बना रही है, भिखारी के दर्जे में ढकेल रही है. करोड़ों असंगठित मजदूर आधा पेट भरने लायक मजदूरी और काम की अनिश्चितता में बमुश्किल जिंदा रहने के लिये मजबूर है. और इनके घावों पर नमक छिड़कते हुये, यह सरकार जानबूझकर ईंधन (पेट्रोल, डीजल, गैस, आदि) के दामों में जबरदस्त बढ़ोतरी कर चौतरफा, कमरतोड़ महंगाई को अंजाम दे रही है. कारण साफ है, बड़ी कंपनियों के अकूत मुनाफों के लिये.”
ट्रेड यूनियनों के नेताओं ने कहा कि,”मोदी सरकार ने तमाम श्रम कानूनों को ही खत्म कर दिया है, और इनकी जगह 4 श्रम कोड कानून बना दिये हैं जिन्हें वह लागू करने की पूरी तैयारी में है. ये और कुछ नहीं मजदूरों की गुलामी के कोड हैं जिन्हें सरकार के मालिक-परस्त मंत्र ‘धंधे को आसान बनाना’को आगे बढ़ाने के लिये बनाये गये हैं. ये श्रम कोड कानून यूनियन बनाने और सामूहिक सौदेबाजी के अधिकार को, कानूनी न्यूनतम मजदूरी और सामाजिक सुरक्षा एवं पेशागत सुरक्षा के अधिकारों को छीन लेंगे. ये कोड ‘फिक्स्ड टर्म इंप्लॉयमेंट’के माध्यम से “हायर एंड फायर”और रोजगार की असुरक्षा को कानूनी जामा पहना देंगे, महिला श्रमिकों के लिये कष्टकारी एवं असुरक्षित स्थितियों को और अधिक बढ़ा देंगे. सरकार दावा करती है कि ये ‘नये भारत के लिये नये कोड’हैं, लेकिन असल में ये “कॉरपोरेट भारत के लिये नये कोड” हैं.”
मोदी सरकार की निजीकरण की नीति के खिलाफ बोलते हुए ट्रेड यूनियन नेताओं ने कहा कि, “मोदी शासन में, तमाम सार्वजनिक क्षेत्र इकाइयों और सरकारी विभागों के अंधाधुंध निजीकरण की मुहिम अंबानी, अडानी, टाटा सरीखों को राष्ट्रीय संपत्तियों और प्राकृतिक संसाधनों की “मुफ्त बिक्री”के चरम स्तर पर पहुंच गई है. और इसे अंजाम दिया जा रहा है ‘नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन-एनएमपी’ (राष्ट्रीय मुद्रीकरण) की नीति के माध्यम से. देश को बेचने की यह समूची नीति ना केवल देश की जनता की कई दशकों की हाड़तोड़ मेहनत से खड़े गये बुनियादी ढांचे का विनाश करेगी, बल्कि आम अवाम के जीवन और जीविका को भी तबाह कर देगी.”
28-29 मार्च, 2022 की राष्ट्रीय हड़ताल की मुख्य मांगें –
• श्रमिक विरोधी चारों श्रम कोड कानून रद्द किये जाय।
• देश की सार्वजनिक संपत्तियों के निजीकरण व निगमीकरण पर रोक लगाई जाय।
• एलआईसी का आईपीओ वापस लिया जाय, बैंकों के निजीकरण की कोशिशें बंद करते हुए आईडीबीआई बैंक को निजी हाथों में सौंपने के प्रयास बंद किये जाय।
• आशा समेत सभी स्कीम वर्कर्स को नियमित करते हुए वैधानिक न्यूनतम वेतन सुनिश्चित किया जाय।
• 26000 न्यूनतम वेतन व 10000 रुपये मासिक पेंशन लागू की जाय।
• पुरानी पेंशन योजना बहाल की जाय।
• बढ़ती बेरोजगारी को रोकने के लिए खाली पड़े पदों पर तत्काल भर्ती की जाय, अनिवार्य बेरोजगारी भत्ता सुनिश्चित किया जाय व छंटनी पर रोक लगाई जाय।
• कमरतोड़ महंगाई पर रोक लगाकर जनता को राहत पहुंचाने की नीति बनाई जाए।
• श्रम अधिकारों, नियमितीकरण और समान काम के लिए समान वेतन की गारंटी की जाय।
• हर असंगठित मजदूर परिवार को 10000 रुपये की नियमित आय और सहायता सुनिश्चित की जाय।
• ईपीएफ ब्याज दरों में की गई कटौती वापस लो।
• किसानों के खिलाफ दर्ज सभी मुकदमे वापस लिए जायँ व एमएसपी गारंटी कानून बनाया जाय।
• BSNL के हल्द्वानी SSA में स्थाई नियुक्ति के CGIT के आदेश को लागू किया जाय।
• उपनल कर्मचारियों को समान काम समान वेतन दिया जाय।
• निर्माण मजदूरों का निर्माण बोर्ड में पृथक पंजीकरण पुनः शुरू किया जाय।
राष्ट्रीय हड़ताल के संयुक्त कार्यक्रम में मुख्य रूप से के के बोरा, राजा बहुगुणा, गौरव गोयल, मनोज कुमार गुप्ता, डॉ कैलाश, बी पी उपाध्याय, ललतेश प्रसाद, मनोज आर्य, ललित मटियाली, सरोज रावत, रीना बाला, आनन्द सिंह नेगी, जिया उल हक, मोहन मटियाली, उर्वा दत्त मिश्रा, बच्ची सिंह बिष्ट, सुरेश सिंह मेहता, नवीन आर्य, चंदन, दिनेश चंद्र, चतुर सिंह खत्री, रमेश चंद्र त्रिपाठी, भुवन सिंह, गोविंदी लटवाल, सरिता साहू, पुष्पा राजभर, हेमा तिवारी, रुखसाना बेगम, रेनू बेलवाल, मोहिनी बृजवासी, मालती देवी, प्रेमा घुघतियाल, पूनम बोरा, कमला बिष्ट, अशोक कश्यप, विनोद गुरुरानी, परीक्षित लोशाली, हरीश सिंह गैड़ा, हंसी फुलारा, रमा भट्ट, दीपा आर्य, सूरज कुमार वर्मा, पुष्पा आर्य, ललिता परिहार, रोशनी, रेखा आर्य, उमेश, प्रकाश सिंह, खष्टी जोशी, इंद्रपाल, मनोज स्वामी, रविन्द्र कुमार, हेमंत कुमार, हिमांशु चौधरी, एन एस कैरा, उमेश कुमार, शोभित बाजपेई, पंकज त्रिपाठी आदि शामिल रहे। सभा का संचालन ऐक्टू के हल्द्वानी नगर अध्यक्ष जोगेन्दर लाल ने किया।