उत्तराखण्ड
ये प्राइवेट स्कूल है साहब! ये जब डीएम की नहीं सुनते, तो अभिभावक की खाक मानेंगे…
गुरमीत सिंह ( स्वीटी)
हल्द्वानी: एक एक पैसे जमा करके अपने बच्चे को कुछ बनाने का सपना देखने वाले अभिभावकों को निजी स्कूलों के संचालकों ने लाचार बना दिया है। मामला है नये सेशन में 15 से 20 प्रतिशत फीस की वृद्धि करने के साथ ही प्रवेश के नाम पर मोटी रकम वसूल करने के षड्यंत्र का। किताबें, स्टेशनरी पहले ही बाजार में महंगी हो चुकी है। पढ़ाई का बोझ बढ़ जाने से अभिभावक टेंशन में हैं।न्यू सेशन के साथ ही अभिभावक अपने बच्चों के स्कूलों में प्रवेश के बाद अलग अलग फीस दिए जाने को लेकर हलकान है। लेकिन स्कूल संचालक है कि वह नए नए नियम बना कर अभिभावकों का उत्पीड़न करने से बाज नहीं आ रहे है, यही वजह है कि मिडिल क्लास वालो का अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ाने का सपना टूटता नजर आ रहा रहा है।
अप्रैल बिगाड़ चुका है अभिभावकों का बजट
प्रवेश के समय स्कूलों में पांच हजार रुपए से लेकर 35 हजार रुपए तक जमा कराए जा रहे हैं। इसके अलावा कॉपी, बुक्स व स्टेशनरी का खर्च अलग से लगता है। इसके खर्च भी 5000 से लेकर 10 रुपए तक बैठ रहे हैं। पहले माह में पढ़ाई का इतना अधिक खर्च आ जाने से बजट को लेकर अभिभावक टेंशन में है। उनकी समझ में नहीं आ रहा कि वे किस तरह से इस खर्च को मेंटेन करें। बुक्स के सेट महानगर के कुछ बड़े स्कूलों व सैटिंग वाली दुकानों में 6 से 9 हजार रुपए के हैं, वहीं ड्रेस भी 2 से 3 हजार रुपए तक खरीदी गई हैं। ऐसे अप्रैल महीने का बजट अभिभावक को बिगड़ता नजर आ रहा है।
स्कूल संचालकों की दुकानों से ही मिल रही किताबें
महानगर में स्कूल संचालकों की सैटिंग वाली दुकानों से ही अभिभावकों को किताबे लेने को विवश होना पड़ रहा है। हर साल स्कूल संचालक किताबों का पब्लिकेशन बदल देते है, ताकि पुरानी किताबें बदली जा सके। जिसका खमियाजा अभिभावकों को भुगतना पड़ रहा है। बरेली रोड़ पर एक दुकानदार द्वारा कई स्कूलों की किताबों का ठेका लिया जाता है। हर वर्ष दुकानदार द्वारा किताबें महंगी कर दी जाती है।
नहीं माने जा रहे समायोजन के आदेश
नाम न छापने की शर्त में एक
पेरेंट्स का कहना था कि बच्चों की पढ़ाई का बोझ लगातार बढ़ रहा है। स्टेशनरी, पाठय सामग्री पहले से महंगी हो गई है। फीस भी हर साल बढ़ जाती है। ऐसे में बच्चों को कैसे पढ़ाया जाए। आय के साधन नहीं बढ़ रहे, लेकिन बच्चों की पढ़ाई का बोझ हर साल बढ़ जाता है। अप्रैल आते ही बच्चों की पढ़ाई की चिंता सताने लगती है।
बाज आए स्कूल संचालक: डीएम
नए शिक्षण सत्र शुरू होते ही निजी स्कूलों में एनसीईआरटी के अलावा प्राइवेट पब्लिशरों के बुक लगाए जाने की शिकायत पर जिलाधिकारी वंदना सिंह ने कहा कि सभी उपजिलाधिकारी को निर्देश दिए गए हैं कि निजी स्कूलों और बुक सैलरो को सरकार की गाइडलाइन के अनुरूप काम करने के लिए कहा जाए, यदि फिर भी महंगी किताबें और एनसीईआरटी के अलावा मनमाने तरीके से किताबों को लगाए जाने का मामला आएगा तो जिला प्रशासन तत्काल कार्रवाई करेगा।