उत्तराखण्ड
लेखमानव धर्म के प्रेणता सदगुरुदेव सतपाल महाराज जी का पावन जन्मोत्सव देश और दुनिया के अनेक स्थानों में धूमधाम से मनाया ,,,
गुरुवर दया के सागर
सदगुरुदेव श्री सतपाल महाराज जी के पावन जन्मोत्सव पर विशेष आलेख
मानव धर्म के प्रेणता सदगुरुदेव सतपाल महाराज जी का पावन जन्मोत्सव देश और दुनिया के अनेक स्थानों में धूमधाम से मनाया जा रहा है विलक्षण प्रतिभा एवं विराट व्यक्तित्व के धनी सदगुरुदेव के संदर्भ में कुछ भी कह पाना लिख पाना हम जैसे अल्प बुद्धि वाले प्राणियों के लिए संभव नहीं है गुरु का स्थान सृष्टि के रचनाकार पालनहार और तारणहार इन तीनों से बढ़कर है कहा भी गया है कि सब धरती कागज करूं लेखनी सब वनराय सात समुंदर की मसी करूं गुरु गुण लिखा न जाए अर्थात गुरु की महिमा का बखान कर पाना संभव नहीं है लेकिन एक शिष्य के अंदर अपने सदगुरुदेव के प्रति निष्ठा और समर्पण के हिलोरें इस कदर उठती है कि उसके अंदर अपनी अल्प बुद्धि से कहने को लिखने को मन आतुर हो जाता है हालांकि वेद पुराणों में तो यहां तक कहा गया है कि गिराज्ञान गौतीतमीशं नरीशम अर्थात गुरु की महिमा के संदर्भ में मन,वाणी और इंद्रियां भी वर्णन कर पाने में सक्षम नहीं है वे इन सब से परे हैं फिर भी संत महात्माओं के सानिध्य में जानकार लोगों के संगत में जो कुछ अपनी अल्प बुद्धि एवं अल्प ज्ञान से सीखने सुनने और समझने को मिला उसी के द्वारा सदगुरुदेव के पावन जन्मोत्सव पर लिखने का साहस कर रहा हूं सदगुरुदेव श्री सतपाल महाराज जी का इस धरा धाम में प्राकट्य 21 सितंबर 1951 को दिन शुक्रवार को देवभूमि उत्तराखंड की तीर्थ नगरी हरिद्वार के कनखल क्षेत्र में हुआ परम संत योगीराज सदगुरुदेव श्री हंस जी महाराज एवं जगत जननी माता राजराजेश्वरी जी की संतान के रूप में अवतरित सदगुरुदेव महाराज इस धरा धाम में सौहार्द और प्रेम की अविरल गंगा लाने वाले भागीरथ कहे जाते हैं आत्मवत सर्व भूतेषु एवं वसुधैव कुटुंबकम के महान संदेश को चरितार्थ करने के उद्देश्य से सदगुरुदेव महाराज द्वारा मानव धर्म की स्थापना की गई मानव धर्म का यह विशाल वटवृक्ष आज संपूर्ण दुनिया को शांति सद्भावना सौहार्द एवं प्रेम का पावन संदेश दे रहा है व्यक्ति को उसके जीवन के वास्तविक लक्ष्य का बोध करा रहा है सदगुरुदेव श्री सतपाल महाराज जी के धर्म एवं अध्यात्म से जुड़े मानवतावादी प्रवचनों को सुनकर आज उनके करोड़ों अनुयाई अपने जीवन को धन्य एवं सार्थक बना रहे हैं और हजारों संत महात्मा आत्म तत्व का जन-जन को बोध करा रहे हैं सदगुरुदेव महाराज के बारे में यदि यह कहा जाए कि वह साक्षात ईश्वर का ही रूप है तो बिल्कुल भी अतिशयोक्ति नहीं होगा लेकिन इस चीज का अनुभव कर पाना समझ पाना साधारण व्यक्ति के वश की बात नहीं है कहा भी गया है कि तेरा सत चित आनंद रूप कोई कोई जाने रे
अंत में गुरु आराधना में दो पंक्तियां समर्पित करते हुए अपनी बात को यहीं पर समाप्त करता हूं अखंडानंद बोधाय शिष्य संताप हारिणे सच्चिदानंद रूपाय तस्मै श्री गुरुवे नमः आईए कल 16 सितंबर को सुबह 10:00 बजे से हल्द्वानी के उषा रुपक कॉलोनी कमलुआगांजा रोड कुसुमखेड़ा में होने वाले सदगुरुदेव महाराज जी के पावन जन्मोत्सव कार्यक्रम में बढ़ चढ़कर हिस्सा लें जय श्री सच्चिदानंद
लेखक:- अजय उप्रेती फाइनल कॉल समाचार पत्र के संपादक हैं तथा मानव उत्थान सेवा समिति के मीडिया कोऑर्डिनेटर एवम सक्रिय कार्यकर्ता है