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उत्तराखण्ड

अभिमान की आग से सब कुछ नष्ट हो जाता है सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज

अजय कुमार वर्मा

रामनगर, 16 दिसंबर 2023 – ‘अभिमान की आग से जलकर सब कुछ स्वतः ही नष्ट हो जाता है।‘ यह शुभ भाव सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने 16 दिसंबर, दिन शनिवार रामनगर के रेलवे ग्राउंड में आयोजित विशाल निरंकारी संत समागम में व्यक्त किये। इस समागम में रामनगर एवं उसके आसपास के क्षेत्रों से सभी संतों ने हिस्सा लेकर सतगुरु माता जी के पावन प्रवचनों द्वारा स्वयं को निहाल किया तथा उनके दिव्य दर्शनों के उपरांत सभी के हृदय में अपने सतगुरु के प्रति कृतज्ञता का भाव था।

सतगुरु माता जी ने अपने सम्बोधन में कहा कि जिस प्रकार इस स्थान का नाम रामनगर यानि राम का नगर अर्थात् जब रमे हुए राम को जान लिया जाए तो हर नगर हर स्थान ही राम यानि परमात्मा निरंकार का ही प्रतीत होता है। इंसान का जन्म भी इस रमे राम को जानने के लिए ही हुआ है जो कण कण में समाया हुआ है, जो सर्वव्यापक और सर्वत्र है।

सतगुरु माता जी ने अपने पावन प्रवचनों में फरमाया कि इंसान को किसी भी बात का अभिमान नहीं होना चाहिए। अभिमान आग के समान होता है जिस प्रकार आग में कुछ भी डाला जाए तो सब कुछ नष्ट हो जाता है। ठीक उसी प्रकार अभिमान सब कुछ नष्ट कर देता है। जब जीवन में भक्ति आ जाती है तो अभिमान का भाव मन से खत्म हो जाता है। मनुष्य का कल्याण केवल विचार सुनने से नहीं अपितु उन विचारो को जीवन में उतारने से होगा। सत्संग से ही काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार जैसे भावो को दूर किया जा सकता है।

सतगुरु माता जी ने अपने प्रतिपादन में कहा कि इंसान केवल शरीर को साफ करने की ओर अग्रसर है न कि आत्मा की शुद्धि पर। सत्संग ही एक मात्र माध्यम है जिससे हमारी आत्मा की सफाई हो सकती है और जब आत्मा साफ एवं निर्मल होगी तब ही परमात्मा भक्ति की ओर अग्रसर होती है। प्रभु परमात्मा की अनुभूति के बिना मानव जीवन सुन्दर नहीं हो सकता है। हर इंसान प्रेम और शांति से रहे, यही संदेश सभी संत महापुरूषों ने हर युग में दिया है।

अंत में सतगुरु माता जी ने समस्त मानव जाति का जीवन भक्तिमय एवं सुखमय होने की शुभ भावना व्यक्त करी और कहा कि पूर्ण भक्ति तो वास्तविक रूप में तभी संभव होती है जब वह निःस्वार्थ भाव से की जाये।

समागम में पारंपरिक वेशभूषा में बहनों और भाइयों ने गीत और विचारों के माध्यम से आशीर्वाद प्राप्त किया।

रामनगर के मुखी वृक्षाराम जी ने सतगुरु माता जी एवं निरंकारी राजपिता जी का स्वागत एवं हृदय से उनका आभार प्रकट किया और साथ ही सत्संग हेतु प्रदान की गई सभी सुविधाओं के लिए प्रशासन का आभार व्यक्त किया।

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