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उत्तराखण्ड

‘संकल्प सभा’ में 2022 को और बेहतर प्रयासों तथा बड़ी जीतों के साल में बदलने का संकल्प

• फासीवाद के खिलाफ संघर्ष तेज करने के लिए भाकपा (माले) को मजबूत बनाने का आह्वान

• ‘संकल्प सभा’ में 2022 को और बेहतर प्रयासों तथा बड़ी जीतों के साल में बदलने का संकल्प

• किसान बहुल आबादी वाली लालकुआं विधानसभा से किसान नेता जंगी को विधायक बनाकर किसानों की जीत बुलंद करें : राजा बहुगुणा

भाकपा (माले) के पूर्व महासचिव कामरेड विनोद मिश्र के 23वें स्मृति दिवस पर उन्हें याद करते हुए माले द्वारा ‘संकल्प सभा’ का आयोजन किया गया। संकल्प सभा कार्यक्रम की शुरुआत कामरेड विनोद मिश्र, किसान आंदोलन के शहीदों, हेलीकॉप्टर दुर्घटना में शहीद हुए सैनिकों को दो मिनट के मौन के साथ श्रद्धांजलि देने के साथ हुई।

इस अवसर पर कामरेड विनोद मिश्र को याद करते हुए वक्ताओं द्वारा कहा गया कि,”इतिहास के बड़े सवाल सड़कों पर जनसंघर्षों में ही हल होते हैं। आज कॉमरेड वीएम के ये शब्‍द एक बार फिर सही साबित हुए हैं। कोविड महामारी की आड़ में मोदी सरकार ने संसद में तीन खेती कानून धोखाधड़ी से पास करवा लिए और इनके जरिये खेती को बड़ी प्राइवेट कंपनियों के हवाले करने की कोशिश की। लेकिन पंजाब और पूरे देश के किसानों ने महामारी के बीच ही इसके खिलाफ आंदोलन खड़ा कर दिया। इस आंदोलन ने पूरे देश के किसानों को प्रेरित किया। किसानों ने आंदोलन को पूरे एक साल चलाकर इतिहास रच दिया। किसान आंदोलन पर लगातार हमलों और उसे बदनाम करने की तमाम कोशिशों के बावजूद किसान डटे रहे और अंतत: मोदी सरकार को इस कानून को पूरी तरह वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया। यदि आज कॉमरेड विनोद मिश्र होते तो उन्‍हें आंदोलन के फासिस्‍ट विरोधी आंदोलन में इस तरह तब्‍दील हो जाने से बहुत खुशी मिलती।”
आज जब हम कॉमरेड विनोद मिश्र का 23वां स्‍मृति दिवस मना रहे हैं तो हमें उनके पूरे जीवन संघर्ष को याद रखना चाहिए। उन्‍होंने सदैव भाकपा (माले) को विचारधारात्‍मक तौर पर साहसी, सांगठनिक तौर पर मजबूत, रचनात्‍मक पहलकदमी वाली और जनता की दावेदारी को आगे बढ़ाने वाली पार्टी के रूप में संगठित करने के लिए संघर्ष किया। जनसंघर्षों की जीत की गारंटी मजबूत पार्टी ही कर सकती है। नयी चुनौतियों के इस दौर में हम पार्टी के विस्‍तार की नयी संभावनाओं को भी देख सकते हैं। पार्टी की पहलकदमी को बढ़ाने के लिए यह जरूरी है।

पार्टी कार्यकर्ताओं व समर्थकों की “संकल्प सभा” को संबोधित करते हुए भाकपा (माले) राज्य सचिव राजा बहुगुणा ने कहा कि, “शिक्षा,रोजगार, स्वास्थ्य, महंगाई जैसे मूल सवालों पर चौतरफा फेल मोदी सरकार जनता के इन मूलभूत प्रश्नों को दरकिनार फिर से वाराणसी से मंदिर के सवाल को केंद्र में लाकर साम्प्रदायिक आधार पर विभाजन पैदा कर चुनावी वैतरणी को पार करना चाहती है।”

उन्होंने कहा कि, “मोदी सरकार अपनी जिम्मेदारी से मुंह चुराने वाली सरकार है, लखीमपुर मामले से लेकर सीडीएस और सैनिकों की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत किसी भी मामले पर यह सरकार अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है। अन्यथा सीडीएस जनरल विपिन रावत की दुर्घटना में मौत की नैतिक जिम्मेदारी के आधार पर रक्षामंत्री को इस्तीफा देना चाहिए था और लखीमपुर मामले में गृह राज्य मंत्री की संलिप्तता सामने आने के बाद उनको तत्काल प्रभाव से हटा दिया जाना चाहिए था, लेकिन यह सब कुछ नहीं हुआ। इसने मोदी सरकार की राजनीतिक बेशर्मी को सामने ला दिया है।”

कामरेड राजा ने उत्तराखंड में दलित और अल्पसंख्यकों पर बढ़ रहे हमलों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि, “देवीधुरा में दलित टेलर पर हुए हमले और रुड़की में चर्च पर हुए हमले के आरोपी अभी तक गिरफ्तार नहीं हुए हैं। यह चिंतनीय है, इससे भी ज्यादा चिंतनीय यह है कि हमलावरों को सत्ता का संरक्षण हासिल है। उत्तराखंड में भी भाजपा एक सवर्ण साम्प्रदायिक माहौल बनाना चाहती है। जनता को बीजेपी के इन मंसूबों को ध्वस्त करना चाहिए।”

उन्होंने कहा कि, “किसान बहुल आबादी वाली लालकुआं विधानसभा से किसान नेता जंगी को विधायक बनाकर किसानों की जीत बुलंद करने का ऐतिहासिक मौका सामने है। यहां की जनता को किसान आंदोलन की जीत का जश्न वरिष्ठ किसान नेता बहादुर सिंह जंगी को विधानसभा में भेजकर मनाना चाहिए।”

माले के लालकुआं विधानसभा उम्मीदवार बहादुर सिंह जंगी ने कहा कि, “मोदी सरकार को किसानों की ताकत का अंदाजा हो गया था इसीलिए मोदी सरकार कृषि कानूनों को वापस लेने पर मजबूर हुई। इस आंदोलन में कॉरपोरेट हमले का मुंह मोड़ देने की ताकत दिखी। किसान आंदोलन में यह ताकत भी दिखी कि यह सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को खत्‍म कर सके और अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे लोगों में आत्‍मविश्‍वास पैदा कर सके। पंजाब, उत्‍तर प्रदेश व उत्तराखंड के महत्‍वपूर्ण चुनाव से पहले तीनों कानूनों को रद्द कर सरकार को किसानों के सामने मुंह की खानी पड़ी है।”

जंगी ने कहा कि, “लालकुआं विधानसभा की जनता को भाजपा-कांग्रेस ने तमाम सवालों पर धोखाधड़ी करने का ही काम किया है। बिन्दुखत्ता राजस्व गाँव, लालकुआं में मालिकाना अधिकार, गौला पार के तमाम गांवों के राजस्व गाँव का सवाल, खत्तावासियों को मूलभूत सुविधाएं, गौला पर तटबंध, बेरोजगारी, महंगाई, आपदा पीड़ितों को राहत, सेंचुरी का जल और वायु प्रदूषण हर सवाल पर यहां की जनता को छलने का काम किया गया है। इसलिए आगामी विधानसभा चुनाव को जनांदोलन में तब्दील कर भाजपा कांग्रेस को उखाड़ फेंकने की जरूरत है।”

‘संकल्प सभा’ ने महसूस किया कि, 2021 भारतीय जनता के लिए बहुत भयावह साल रहा। सरकार ने लोगों की जान बचाने की जिम्‍मेदारी से पीछा छुड़ा लिया और भयावह दमन पर उतर आई। सरकार ने क्रूर जनविरोधी नीतियां लागू कीं और सार्वजनिक संपत्ति को एक तरफ से बेच डाला। लेकिन इस साल का अंत ऐतिहासिक संघर्ष की सफलता से हो रहा है। नये साल की शुरुआत में ही उत्‍तर प्रदेश, पंजाब, उत्‍तराखंड, गोवा और मणिपुर के महत्‍वपूर्ण चुनाव होने जा रहे हैं। हम अपनी पूरी ताकत लगाकर इन चुनावों को ताकतवर जनान्‍दोलन में तब्‍दील कर फासीवादी ताकतों को पीछे धकेला जा सकता है।

‘संकल्प सभा’ के अंत में आगामी विधानसभा चुनाव में लालकुआं विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न स्थानों के प्रचार के लिए टीमों का गठन कर युद्धस्तर पर अभियान चलाने की योजना बनायी गयी।

संकल्प सभा में माले राज्य सचिव राजा बहुगुणा, लालकुआं विधानसभा क्षेत्र के उम्मीदवार बहादुर सिंह जंगी के अतिरिक्त वरिष्ठ नेता भुवन जोशी, प्रकाश फुलोरिया, विमला रौथाण, गणेश दत्त पाठक,पुष्कर सिंह दुबड़िया, गोविंद सिंह जीना, किशन बघरी, ललित मटियाली, नैन सिंह कोरंगा, धीरज कुमार, हरीश राम,त्रिलोक राम, माधो राम, किशन राम, मेहरून खातून, कमल जोशी, गोपाल गड़िया, निर्मला शाही, ललित जोशी, पनी राम, नीरज आर्य, पान सिंह दानू, आनंद सिंह जग्गी, धन सिंह, दान सिंह मेहरा, बचन शाह, दीप चंद्र पाठक, बालम सिंह, चंद्रा कोरंगा, शिव सिंह, दौलत सिंह कार्की, मुन्नी देवी, देव सिंह बिष्ट आदि मौजूद रहे।

‘संकल्प सभा’ का संचालन भाकपा (माले) के जिला सचिव डॉ कैलाश पाण्डेय ने किया।


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