Connect with us

उत्तराखण्ड

सरकारी पदों पर भर्ती के नाम पर किया जा रहा है विश्वासघात मंजू तिवारी


अजय उप्रेती। लालकुआ

लालकुआं आम आदमी पार्टी की प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष महिला मोर्चा मंजू तिवारी ने कहा कि राज्य में युवाओं के साथ सरकारी पदों पर भर्तियों के नाम पर विश्वासघात किया जा रहा है। मंजू तिवारी ने प्रेस को जारी बयान में कहा कि उत्तराखंड के युवा बेरोजगारों का भविष्य सरकार की गलत नीतियों के चलते अंधकार में धकेला जा रहा | इसका जीता जागता उदाहरण हाल ही में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा कराई गई स्नातक स्तरीय परीक्षा घोटाला की भर्ती में हुए घपले से साफ़ हो गया है। मंजू तिवारी ने कहा कि यह महज शुरुआत है अगर निष्पक्षता से जांच कराई जाए तो राज्य के युवाओ के साथ छल करने वाले कई चेहरे बेनकाब होंगे उन्होंने कहा कि युवाओ को पारदर्शी नियुक्ति न दे पाने वाले आयोग को तत्काल भंग कर CBI जांच की जानी चाहिए। साथ ही यह भी कहा कि पूर्ववर्ती भर्तियों में युवाओ द्वारा धाधली के आरोप लगाए गए है उनकी भी जांच होनी चाहिए| ताकि युवाओ के भविष्य को बर्बाद करने वाले चेहरे बेनकाव हो सके। उन्होंने कहा कि जिस तरह सत्ता से जुड़े लोगो के नाम इस भर्ती में सामने आ रहे है उससे स्पष्ट है कि यह सरकार जांच को प्रभावित कर सकती है लिहाजा इस पूरे भर्ती घोटाले की हर हाल में CBI जांच की जानी चाहिए| उन्होंने प्रवर अधीनस्थ सेवाओं व लोअर अधीनस्थ सेवाओं की भर्ती में गलत प्रश्नो के माध्यम से उत्तराखंड के युवाओ के साथ छल करने का आरोप भी लगाया है। मंजू तिवारी ने युवाओ को आश्वस्थ किया है कि आम आदमी पार्टी युवाओ के संघर्ष में उनके साथ कंधे से कन्धा मिलाकर खड़ी है उन्हें पारदर्शी रोजगार दिलाने की लड़ाई में सड़क से लेकर सदन तक आंदोलन करेंगे। उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की अपर पीसीएस परीक्षा 3 अप्रैल 2022 को संपन्न हुई थी । भले ही आयोग ने अपना प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम घोषित कर दिया परंतु यह अपने साथ अनगिनत त्रुटियां व छात्र विरोधी गतिविधियां छोड़ गया है । आयोग ने एक विशेष प्रश्न उत्तराखंड नाम परिवर्तन अधिनियम 2006 अस्तित्व में कब आया का जवाब अपनी उत्तर कुंजी में इनमें से नहीं इनमें से कोई नहीं दिया है जबकि इसका उत्तर 2006 है । छात्रों द्वारा आयोग की त्रुटि सुधारने हेतु कई प्रार्थना पत्र दिए गए परंतु आयोग ने गलत उत्तर पर अड़ियल रवैया अपनाया ,जबकि यह प्रश्न पीसीएस जे 2019 में आ चुका है जिसमें आयोग ने तथा तथाकथित एक्सपर्टो ने इसका उत्तर 2006 माना है । वंचित अभ्यर्थियों ने माननीय उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जिसमें माननीय उच्च न्यायालय ने स्वयं हुसैन बनाम उत्तराखंड लोक सेवा आयोग में माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्देश को ध्यान में रखते हुए उत्तर 2006 माना तथा साथ में माननीय आयोग को निर्देश दिए कि वह माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्देश को ध्यान में रखते हुए एक विशेष समिति बनाएगी और इस प्रश्न के उत्तर में सुधार करेगी तथा जो भी वंचित अभ्यार्थी हैं उन्हें मुख्य परीक्षा में सम्मिलित करेगी । इस संदर्भ में आयोग ने एक समिति बनाई परंतु उत्तर में कोई परिवर्तन नहीं किया। राज्य में कई परीक्षाओं के संदेह में आने पर पीसीएस परीक्षा में छात्रों व अभिभावकों के मन में आयोग की पारदर्शिता को लेकर संदेह पैदा हो गया है क्योंकि ना तो माननीय उच्च न्यायालय का फैसला सुनकर और नाही माननीय उच्चतम न्यायालय का फैसला सुनकर आयोग काम कर रहा है।
*

Ad
Continue Reading
You may also like...

More in उत्तराखण्ड

Trending News

Follow Facebook Page