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लंबी न्यायिक प्रक्रिया से गुजर रहे पूरन चंद्र सुनाल को अदालत के फैसले पर उम्मीद

लंबी न्यायिक प्रक्रिया से गुजर रहे पूरन चंद्र सुनाल को अदालत के फैसले पर उम्मीद
तहसील लालकुआं अंतर्गत कृष्णा नवाड़ गांव निवासी पूरन चंद्र सुनाल को इंसाफ के मंदिर पर भरोसा है उसका मानना है कि जिस अधिकार की लड़ाई को वह वर्ष 2006 से लड़ रहा हैं उन्हें उम्मीद है आखिरकार उन्हें अदालत से इंसाफ मिलेगा
ग्रामीण पूरन चंद्र सुनाल के मुताबिक उनके दादा नरोत्तम सुनाल की 65 बीघा जमीन उनके तीन बेटों जय किशन गोविंद बल्लभ और परमानंद के हिस्से में आई परमानंद की मौत हो गई परमानंद का कोई वारिस नहीं था लिहाजा अब यह जमीन जयकिशन और गोविंद बल्लभ के हिस्से में बराबर यानी साड़े 32 साड़े 32 बीघा आ गई जय किशन के दो बेटे हुए केशव दत्त और कांति बल्लभ जबकि गोविंद बल्लभ के तीन बेटे हुए पूरन चंद्र जगदीश चंद्र और भूपेश चंद्र भूपेश चंद्र स्वर्ग सिधार चुके हैं लिहाजा उनके दो लड़के उनके हिस्से की जमीन के मालिक हैं लेकिन अब यही से विवाद खड़ा हो गया पूरन चंद सुनाल के मुताबिक उनके तीन भाइयों के हिस्से में साडे 32 बीघा जमीन आनी चाहिए थी जिसके तहत साडे 10 बीघा जमीन एक भाई के हिस्से आनी थी लेकिन उन तीनों ही भाइयों के हिस्से में अलग-अलग लगभग साढ़े 6 बीघा जमीन ही है बाकी जमीन केशव दत्त तथा कांति बल्लभ द्वारा दबा दी गई है अपने इसी तर्को को साबित करने के लिए उन्होंने अपने तथा अपने मूकबधिर भाई को इंसाफ दिलाने के लिए कई मर्तबा गांव समाज के लोगों से मिल बैठकर पंचायत कराने का भी आग्रह किया पंचायत भी हुई लेकिन विपक्षी पार्टियों ने पंचायत के फैसले को मानने से इनकार कर दिया लिहाजा वे वर्ष 2006 में अदालत की शरण में चले गए कांति बल्लभ अब दुनिया में नहीं है लिहाजा उनकी पत्नी शांति देवी ने भी पूरनचंद्र सुनाल के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया 16 वर्ष से यह मामला लंबित है लंबी न्यायिक प्रक्रिया से गुजरने के बाद भी पूरन चंद सुनाल को अदालत यानि इंसाफ के मंदिर पर पूरी उम्मीद है उनका विश्वास है कि इंसाफ के घर देर है अंधेर नहीं और उन्हें उनका हक अवश्य मिलेगा


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