उत्तराखण्ड
साका पंजा साहिब की झांकी को देख भावुक हुए लोग,
हल्द्वानी ,,सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी के जन्म दिवस पर प्रकाश पर्व के अवसर पर निकल गए भव्य नगर कीर्तन में अकाल पुरख की फौज द्वारा ट्रक के ऊपर साका पंजा साहिब की झांकी को दर्शाया गया, जिसमें अक्टूबर 1922 में अमृतसर से अटक (पाकिस्तान) के लिए सिख कैदियों को ले जा रही ट्रेन को रोकने के लिए अंग्रेज रेलवे अधिकारी सहमत नहीं हुए थे, जिसमें सिख समुदाय के लोग पंजा साहिब से सिख कैदियों को लंगर परोसने चाहते थे, इस विरोध में भाई प्रताप सिंह और भाई करम सिंह के नेतृत्व में सिख रेल की पटरियों पर लेट गए, जब ट्रेन नजदीक आई तो सिख प्रदर्शनकारियों ने रेलगाड़ी को रोकने की कोशिश की, ट्रेन नहीं रुकी एवं कई प्रदर्शनकारियों को शहीद कर दिया गया । कुछ दूर पर जाकर ट्रेन अपने आप रुक गई, भाई करम सिंह और भाई प्रताप सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए और अगले दिन उनका भी निधन हो गया, इन दोनों सिक्खों को साका पंजा साहिब के शहीदों के रूप में याद किया जाता है ।
साथ ही टीम अकाल पुरख की फौज द्वारा शिक्षा लंगर लगाया गया, जिसमें संस्था द्वारा सभी छोटे बच्चों को कॉपियां, पेंसिल, पेन, स्केल, कलर पेन, स्केच पेन, कलर बुक, आदि बांटे गए ।
टीम द्वारा श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की पालकी साहिब के आगे फूलों की बरखा की सेवा भी की गई ।
सेवा में गगन पाल स्याली, मानु स्याली, गुरप्रीत सेठी, अमरजोत सेठी, विप्सी चंडोक, अमन गांधी, प्रिंस गुजराल, हेमी वीर जी, नवनीत सिंह, सरबजीत सेठी, गुरदीप सिंह, प्रिंस सिंह, सन्नी सेठी, तरनप्रीत सिंह, मोहित सड़ाना, अवनीश राजपाल, आदि ने योगदान दिया।