उत्तराखण्ड
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वोमेन ऐसोसिएशन (ऐपवा) ने बैठक कर अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया,,
सितारगंज,, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वोमेन ऐसोसिएशन (ऐपवा) ने बैठक कर अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया। बैठक में ऐपवा की संयोजक अनिता अन्ना ने कहा कि आज 8 मार्च को दुनिया के सभी देशों में अन्तर्राष्टीय महिला दिवस मनाया जाता है। आज की सरकारें व सरकारों के पक्ष के लोग महिला दिवस को महिलाओं के नाच-गाने, खुशी मनाने या पार्टी करने के रूप में मनाते हैं और इसी रूप में महिला दिवस का प्रचार करते हैं। क्योंकि पूंजीवादी सरकारें व उनके समर्थक महिला दिवस के इतिहास और संघर्ष को महिलाओं व आमजन से छिपाना चाहते हैं। इसिलिए हमारे लिए जरूरी है कि प्रत्येक संघर्षशील, कामकाजी, मेहनत करने वाली महिलाओं को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के इतिहास को जानना बहुत जरूरी है। आज के दौर में जब महिलाओं की अच्छी खासी संख्या फैक्ट्रियों में, भी आशा-आंगनबाड़ी , भोजनमाता जैसी स्कीमों में , स्वयं सहायता समूह के तहत विभिन्न कामों में कार्यरत है और आर्थिक रूप से अपने पांव पर खड़ा होना चाहती है। लेकिन फैक्ट्री मालिक व सरकारें उनकी मेहनत का शोषण कर रही हैं। तब हमारे लिए और ज्यादा जरूरी हो जाता है कि महिला दिवस के इतिहास और संघर्ष से प्रेरणा लेकर अपने हक अधिकार को पाने की लड़ाई को और तेज किया जाए।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि 1857 और 1908 में अमेरिका के न्यूयार्क शहर में 8 मार्च को कपड़ा फैक्ट्रियों की महिला कामगारों ने बेहतर कार्यस्थ्तिियों, काम के घंटे 8, यूनियन बनाने के अधिकार व मताधिकार की मांगों को लेकर बड़े -बड़े प्रदर्शन किए। 1909 में एक सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका के आहवान पर 28 फरवरी को पूरे अमेरिका में अमेरिका का राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया। 1910 में डेनमार्क देश की राजधानी कोपेनहेगन में महिला कामगारों(श्रमिकों) के दूसरे इंटरनेशनल(सम्मेलन) का आयोजन हुआ। जिसमें 17 देशों से आयी 100 से अधिक महिला प्रतिनिधियों ने भाग लिया। ये महिलाए मजदूर यूनियनों, कम्युनिस्ट व सोशलिस्ट पार्टियों, महिला कामगार क्लबों की लीडर व डेनमार्क की 3 सांसद थीं। इस सम्मेलन में जर्मनी की एक कम्युनिस्ट पार्टी की नेता क्लारा जेटकिन ने प्रस्ताव रखा कि 1909 में अमेरिका में मनाए गए राष्ट्रीय महिला दिवस की तरह ही पूरी दुनिया में महिलाओं के हक अधिकारों, बराबरी व सम्मान के लिए अंतराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाना चाहिए। सभी महिला प्रतिनिधियों इस प्रस्ताव पर राजी हुईं और 19 मार्च अंतराष्ट्रीय महिला दिवस की तारीख घोषित हुई। प्रथम विश्वयुद्ध की पूर्व संध्या पर शांति का अभियान चलाते हुए रूस की महिलाओं ने अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय दिवस बनाया। 1913 में विचार-विमर्श के बाद अंतराष्ट्रीय महिला दिवस की तारीख 19 मार्च से बदलकर 8 मार्च कर दी गयी। जो कि आजतक पूरी दुनिया में अंर्तराष्ट्रीय महिला दिवस की तारीख है। 8 मार्च 1914 में यूरोप की महिलाओं ने युद्ध के विरूद्ध अभियान चलाते हुए रैलियां निकाली थी। तब से पूरी दुनिया में महिलाओं के हक अधिकारों की आवाज को बुलंद करने के लिए पूरी दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है।
इसके साथ वर्तमान दौरा में उत्तराखण्ड सरकार द्वारा जो समान नागरिक संहिता के नाम पर महिला की आजादी छीनने, उन्हें विवाह व प्रेम सम्बंधी अपने फैसले लेने की आजादी पर रोक लगाने के साथ-साथ पूरे समाज को एक नई मुसीबतों में डालने की जो कोशिश है उसे समझना पड़ेगा। समान नागरिक संहिता में महिलाओ के लिए कोई समानता नही है। उल्टा उनकी स्वायत्ता(आजादी) छीनने की एक कोशिश है। इसके अलावा समान नागरिक संहिता के तहत हर उम्र के प्रत्येक शादीशुदा, विधवा, विधुर को सर्टिफिकेट बनवाना पड़ेगा। समय समय पर मोबाइल नम्बर व ईमेल बलदने पर, तलाक होने पर या किसी अन्य बदलाव में फिर से सर्टिफिकेट में अपडेट करना पड़ेगा। यानि की पैसा और समय की बर्बादी का कानून सरकार लेकर आयी है। अभी के दौर में इस कानून का विरोध भी अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का प्रमुख एजेंडा ऐपवा का रहेगा।
बैठक में ऐपवा संयोजक अनीता अन्ना,zydus से ज्योति चंद, अनीता देवी,रेशमा अहमद, सुजाता, खीमा पंत, दिक्षा, किरन, उषा, आरुषि, रूबिना,आशा यूनियन से सरमीन सिद्दीकी, गुलिस्तां,पूनम, संतोष, उपस्थित रहे।

