उत्तराखण्ड
अनेकता में एकता का अनुपम उदाहरण: निरंकारी सामूहिक विवाह समारोह संपन्न,
हल्द्वानी, 06 नवम्बर, 2025: 78वें निरंकारी संत समागम के समापन उपरांत समालखा के पावन मैदानों में सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवं निरंकारी राजपिता रमित जी की पावन उपस्थिति में सादगी और एकता के प्रतीक रूप में निरंकारी सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन किया गया।इस अवसर पर भारत के विभिन्न राज्यों—बिहार, चंडीगढ़, दिल्ली, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड—सहित ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देशों से आए 126 नवविवाहित युगलों ने परिणय सूत्र में बंधकर अपने नवजीवन की मंगलमय शुरुआत की।कार्यक्रम का शुभारंभ पारम्परिक जयमाला और निरंकारी परंपरा के विशेष सांझा-हार से हुआ। भक्तिमय वातावरण में हिंदी भाषा में निरंकारी लावों का गायन किया गया, जिनमें विवाहित जीवन के आध्यात्मिक संदेश और गृहस्थ जीवन की शिक्षाएँ समाहित थीं। सतगुरु माता सुदीक्षा जी और निरंकारी राजपिता रमित जी ने नवविवाहित युगलों पर पुष्पवृष्टि कर उन्हें सुख, समर्पण और संतुलन से परिपूर्ण जीवन का आशीर्वाद प्रदान किया।सतगुरु माता जी ने अपने आशीर्वचनों में कहा कि विवाह केवल एक दिन का उत्सव नहीं, बल्कि प्रेम, सम्मान और सहयोग से भरे पवित्र मिलन का प्रतीक है। यह दो व्यक्तियों के साथ दो परिवारों का भी पवित्र संगम है, जिसमें सेवा, सुमिरण, सत्संग और भक्ति के तत्वों का समावेश होना चाहिए। उन्होंने कहा कि वैवाहिक जीवन में बराबरी और साझेदारी का भाव ही स्थायी सुख और संतुलन लाता है।समारोह में उपस्थित वरिष्ठ अधिकारीगण, वर-वधू के परिजन और श्रद्धालु भक्तगण इस दिव्यता और भावनात्मक दृश्य के साक्षी बने। आयोजन की सादगी, समरसता और एकत्व का संदेश एक बार फिर मानवता के समग्र एवं प्रेरणादायी स्वरूप को प्रकट करता रहा।संत निरंकारी मंडल के सचिव श्री जोगिन्दर सुखीजा ने बताया कि समाज कल्याण विभाग के सहयोग से आयोजित इस वर्ष के सामूहिक विवाह समारोह में भारत और विदेशों से 126 जोड़े सम्मिलित हुए, जो अनेकता में एकता का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।





















