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उत्तराखण्ड

फुले फिल्म के दृश्य में माँ ज्योतिबा फुले सावित्री बाई फुले और माँ फातिमा शेख और उनके भाई उस्मान शेख ने समाज की कुरुतियों के खिलाफ शिक्षा की मशाल जलाई,,

हल्द्वानी बहुजन समाज द्वारा फुले फ़िल्म के 2 शो बुक करवाकर हल्द्वानी के लक्ष्मी सिनेप्लेक्स में चलवाई गई, फुले फ़िल्म उत्तराखंड में केवल देहरादून में ही लगाई गई थीं अधिकांश सिनेमा इस ऐतिहासिक फ़िल्म को लगाना ही नहीं चाहते हैं इसलिए बुद्ध पूर्णिमा की सभा में इस फ़िल्म का एक शो 188 टिकट बुक करके लगवाने पर चर्चा हुई थीं, 1848 तक महिलाओं को पढ़ने लिखने का अधिकार नहीं था पढ़ने लिखने के अधिकार दिलाने के लिए माँ ज्योतिबा फुले सावित्री बाई फुले और माँ फातिमा शेख और उनके भाई उस्मान शेख ने समाज की कुरुतियों के खिलाफ शिक्षा की मशाल जलाई, इस फ़िल्म में फुले दाम्पत्ति द्वारा महिलाओं को पढ़ाने के लिए जो कष्ट उठाये उनपर कितने ज़ुल्म हूए किस तरह से माँ सावित्री बाई फुले पर कीचड़ डाली जाती थीं उनपर पत्थर मारे जाते थे परिवार ने भी घर से निकाल दिया था उन सब कष्टों की परवाह किये बगैर उन्होने महिलाओं के लिए 18 स्कूल खोले और आज हम उन्हें प्रथम शिक्षिका के रूप में जानते हैं,
फ़िल्म को लगवाने के लिए निम्न लोगों का बहुत बड़ा योगदान रहा,
विद्वान साथी दीपक तिरूवा जी ने कदम बढ़ाए, विरेंद्र टम्टा जी, दीप दर्शन जी, रविकांत राजू जी, नफीस अहमद खान जी, दीपक चनियाल जी, अमित कुमार बौद्ध जी, अजय कुमार आर्या जी, विनोद कुमार पिन्नू जी, एड. गंगा प्रसाद जी, सुनीता आर्या जी, शंकर लाल जी, पंकज अम्बेडकर जी, आर पी गंगोला जी,जैसे अनगिनत महानुभावों ने इसे मिशन बनाया और दो शो फुल करा दिये

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