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उत्तराखण्ड

जिन लोहौर निहि वेखिया वोह जनमेय ही नहीं,

हल्द्वानी में नया थियेटर छत्तीसगढ़ के कलाकारों के तत्वाधान में हलद्वानी राउंड टेबल 348 द्वारा जब हिन्दुस्तान ,पाकिस्तान का विभाजन हुआ था लोगो को पाकिस्तान से हिंदू लोगो को हिंदुस्तान भेजा जा रहा था आज नया थियेटर छत्तीसगढ़ के कलाकारों ने अपने किरदार में एक ऐसा दृश्य को हलद्वानी में एक मच में उस किरदार को याद करके दिखाया कि तरह से हिंदुस्तानी अपनी जान बचा कर सब कुछ गवा कर आए थे इस कड़ी में एक परिवार में एक बुजुर्ग माता जी बिछड़ जाती है और वह हवेली में अकेली रह जाती हैं हवेली पाकिस्तान की हुकूमत ने मिर्जा जी कहती कि ये चौधरी की कॉलोनी हैं वो हिन्दुस्तान भेज दिया है वो आपके नाम कर दी जाती हैं हैं जब मिर्जा जी का परिवार उस हवेली में प्रवेश करता हैं जब मर्जी जी परिवार जब उस हवेली को देखकर दंग रह जाता है बहिस कमरों की हवेली में जब उनका परिवार रहने को आता है तो उसमे मिर्जी जी का परिवार हवेली में सीढ़ी से चढ़ते हैं तो उसमे आवाज सुनाई देती है तो उस आवाज से मिर्ज़ा जी बच्चे डर जाते है तब वह दादी नीचे उतर कर आती है पूछती है तुसी कोन हो जी ये हवेली त मेरी तुसी किस्त्रा मालिक हो गए जी। मिर्जा जी उस दादी से बोलते हैं कि पाकिस्तान की हुकूमत ने ये हवेली हमारे नाम कर दी है आपको वापस हिंदुस्तान जाना पड़ेगा तो दादी बोलती है कि मेरा कोई नहीं है मै ये हवेली छोड़ कर नही जहूंगी पाकिस्तान की हुकूमत की तरफ दो मुलाजिम मिर्जा जी को हवेली के कागज बनाने के आते हैं तो दादी मां आ जाती है कि इस हवेली के कागज मेरे पास ये हवेली मेरी है इस पर बहस शुरू हो जाती है मिर्जा जी परिवार खाने के रसोई ढूढता। हैं तो वहा पर कुछ नहीं मिलता फिर दादी मां मिर्जा की बेटी को कहती हैं पुतर तू लकड़ियां थल्ले वेडे विच पिया हन तू ले मै रहवा नदी विच नहा कर अंद्दी ह , इस तरह वहा के मुसलमानो को पता चलता है कि मिर्जा जी ने एक हिंदू महिला को रखा हुआ इसको लेकर आपस मे लड़ाई छिड़ जाती है जिसमे पाकिस्तान के लोग भी इसमें शामिल हो जाते है और मौलाना का कतल कर देते जिसका सदमा दादी को लगता और दादी भी मर जाती हैं इन दौरान दादी के संस्कार को लेकर चिंता हो जाती है कि ह तो मानव शरीर एक को जलना इनका दहा संस्कार हिंदू रीति रिवाज से किया जाना चाहिए वो तो हमे आता नही इस तरह से कुछ परंपरा की जानकारी जुटाई जाती है कुल मिलाकर हिंदू रीति रिवाज से अर्थी तैयार की जाती है उधर मौलाना की अर्थी तैयार की जाती है ,इस हालात को देखते हुए आज एक मच के माध्यम से उस पीढ़ा को याद किया गया जिन लाहौर नही वेखियां वोह जन्मेय ही नहीं,,इस दौरान हलद्वानी राउंड टेबल,की सभी पदाधिकारी मौजूद थे

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