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उत्तराखण्ड

उत्तराखंड में बनी फ़िल्म “भेड़िया धसान” का मेलबर्न में इंटरनेशनल प्रीमियर,

उत्तराखंड के नैनीताल ज़िले के मुक्तेश्वर और कालाढूंगी की खूबसूरत वादियों में शूट की गई हिंदी फ़िल्म “भेड़िया धसान (Sheep Barn)” का इंटरनेशनल प्रीमियर Indian Film Festival of Melbourne (Australia) में होगा। यह प्रतिष्ठित फ़िल्म फेस्टिवल 14 से 24 अगस्त 2025 के बीच आयोजित किया जाएगा।

इससे पहले इस फ़िल्म का वर्ल्ड प्रीमियर International Film Festival of Kerala (IFFK) में ‘Indian Cinema Now’ श्रेणी के अंतर्गत हुआ था, जहाँ इसे काफी सराहना मिली थी।

इस फ़िल्म का निर्देशन भरत सिंह परिहार ने किया है, जो मूलतः उत्तराखंड के निवासी हैं और वर्तमान में मुंबई में रहकर हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री में सक्रिय हैं।

“भेड़िया धसान” की कहानी, लोकेशंस, और स्थानीय संस्कृति की झलक इसे एक अलग ही पहचान देती है, और इसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहुंचना उत्तराखंड के लिए गर्व की बात है।

यह फ़िल्म एक प्रवासी मज़दूर की कहानी है जो बड़े शहर से वापस अपने गांव लौटता है और गांव की रूढ़िवादी व्यवस्था में फसकर रह जाता है। फिल्म एक ही परिवार की तीन पीढ़ियों की सोच और सपनों के टकराव को दिखाती है।

फिल्म का शूट पूरी तरह से उत्तराखण्ड में ही किया गया था। फ़िल्म के ज़्यादातर कलाकार और कर्मी उत्तराखण्ड के ही हैं। फिल्म में मुख्य भूमिका उत्तराखण्ड के वरिष्ठ रंगकर्मी श्रीष डोभाल और मुंबई में बसे फ़िल्म कलाकार यतेंद्र बहुगुणा ने निभाई हैं। उनके साथ में मदन मेहरा, आकाश नेगी, स्वाती नयाल, राघव शर्मा,ध्रुव टम्टा, राजेंद्र सिंह, मोहन राम, दीपक मालदा (Deepak Malada)
और महेश सैनी ने भी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं। इसके अलावा फिल्म में मुक्तेश्वर के बाल कलाकार अरमान खान और मंजीत सिंह ने भी अभिनय किया है।

प्रोफेशनल कलाकारों के अलावा फ़िल्म में मुक्तेश्वर के कई स्थानीय लोगों से भी पहली बार अभिनय कराया गया।

फिल्म का निर्माण हल्द्वानी के अनंत नीर शर्मा और लतिका शर्मा ने अपने प्रोडक्शन हाउस वायबल फ़िल्म्स के माध्यम से किया है।

फ़िल्म के निर्माता अनंत नीर शर्मा ने कहा: उत्तराखण्ड में बनी इस फ़िल्म के जरिए हम एक गांव की रूढ़िवादी सामाजिक सोच को दिखाना चाहते थे। इस फिल्म का Indian Film Festival Melbourne में चुना जाना हमारे लिए एक बहुत बड़ा प्रोत्साहन है। इससे हमारे उत्तराखण्ड के युवाओं को फ़िल्म निर्माण के जरिए अपनी कहानियां कहने का कॉन्फिडेंस मिलेगा।

फ़िल्म के निर्देशक भरत सिंह परिहार ने कहा: हमारा मक़सद एक ऐसे भारतीय गांव की झलक दिखाना था जहां आज भी बदलाव को स्वीकार नहीं किया जाता है। हमारी कहानी एक ऐसे नौजवान की है जो गांव से पलायन करने के बाद वापस आता है तो ख़ुद को गांव के माहौल में नहीं ढाल पाता है। गांव की भेड़ चाल से तंग आकर वो अपने पिता को लेकर वापस शहर जाना चाहता है जबकि उसके पिता गांव छोड़ने को राज़ी नहीं होते हैं।

फ़िल्म बनाने की प्रक्रिया के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा: फ़िल्म को यथार्थ के क़रीब लाने के लिए हमने न सिर्फ़ पहाड़ी बैकग्राउंड के कलाकारों को कास्ट किया बल्कि कई सारे नॉन एक्टर्स से भी एक्टिंग कराई।

इस फिल्म के लेखक रामेंद्र सिंह हैं, जो कई सालों तक पत्रकारिता से जुड़े रहने के बाद स्क्रीन राइटिंग के लिए मुंबई चले गए। और अब मुंबई में ही लेखक के तौर पर काम कर रहे हैं
इन्होने इंडियन एक्सप्रेस के लिए एक लम्बे समय तक काम किया।
फ़िल्म की सिनेमेटोग्राफी हल्द्वानी के पार्थ जोशी ने की है और फ़िल्म का संगीत शिमला के तेजस्वी लोहूमी ने दिया है।

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