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उत्तराखण्ड

धूमधाम से मनाया गया गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर 162 वा जन्म उत्सव

भवाली शांतिनिकेतन ट्रस्ट फॉर हिमालया द्वारा गुरुदेव की कर्मभूमि रामगढ, नैनीताल मे को गुरुदेव का 162 वां जन्मोत्सव का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री राम सिंह कैडा, विधायक भीमताल तथा विशिष्ठ अतिथि श्री राकेश सूरी, विदेशक, इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (INTACH), प्रो एम सी पांडे, प्राचार्य राज0 स्नातकोत्तर महाविद्यालय रामनगर तथा डॉ एच एस नयाल, प्राचार्य राजकीय महा0 रामगढ़ रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ हुआ जिसके पश्चात शांतिनिकेतन ट्रस्ट फॉर हिमालया के प्रन्यासियों द्वारा सभी अतिथियों का पुष्प गुच्छ एवं माल्यार्पण कर स्वागत किया गया तथा रामगढ़ क्षेत्र के निकटवर्ती विद्यालयों के छात्र छात्र द्वारा अतिथियों के स्वागत हेतु स्वागत गीत एवं अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये गए। जन्मोत्सव कार्यक्रम के आयोजक सचिव प्रो अतुल जोशी जी ने जन्मोत्सव कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की तथा गुरदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर के मानवतावादी दृष्टिकोण पर प्रकाश डालते हुए कहा की गुरुदेव के मानवतावादी दृष्टिकोण को अपनाने में ही विश्व का कल्याण निहित है। उन्होंने कहा कि शिक्षा नीति २०२० में बहुत हद तक गुरदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर के शिक्षा दर्शन की झलक मिलती है जिसमें छात्रों के सर्वांगीण विकास की सम्भावना है। उन्होंने गुरुदेव की कर्मभूमि रहे रामगढ़ उत्तराखंड सिथत गुरुदेव की साहित्यिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखने के लिए विश्व भारती विश्वविद्यालय तथा उत्तराखंड सरकार को धन्यवाद ज्ञापित किया।
जन्मोत्सव कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री राम सिंह कैडा ने शांतिनिकेतन ट्रस्ट फॉर हिमालाया के प्रन्यासियों एवं क्षेत्रीय जनता को जन्मोत्सव के सफल आयोजन हेतु धन्यवाद देते हुए शांतिनिकेतन के रामगढ़ में स्थापित होने वाले परिसर हेतु बधाई एवं शुभकामनायें प्रेषित की। उन्होंने अपने उदबोधन में कहा कि टैगोर दूसरे व्यक्ति थे, जिन्होंने विश्व धर्म संसद को दो बार संबोधित किया। इसके पहले स्वामी विवेकानंद ने धर्म संसद को संबोधित किया था। टैगोर ने कई कविताएं और पुस्तकें प्रकाशित की। काव्यरचना गीतांजलि के लिये रवींद्रनाथ टैगोर को 1913 में साहित्य में नोबेल पुरस्कार म‍िला। वे ये पुरस्‍कार जीतने वाले पहले गैर यूरोपीय व्‍यक्‍त‍ि थे। रबींद्रनाथ ने साहित्य, संगीत, कला और शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया था। उन्हें प्रकृति का सान्निध्य बहुत पसंद था। उनका मानना था कि छात्रों को प्रकृति के पास रहकर शिक्षा हासिल करनी चाहिए. अपनी इसी सोच को ध्यान में रखकर उन्होंने बंगाल में शांति निकेतन की स्थापना की थी। वे एक मानवतावादी लेकिन आधुनिक विचारों के व्यक्ति थे लेकिन स्वस्थ परंपराओं में भी उनका पूर्ण विश्वास था, उनकी ये सारी उनकी रचनाओं में भी स्पष्ट रूप से दिखती है।
विशिष्ठ अतिथि श्री राकेश सूरी, विदेशक, इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (INTACH) ने भी आयोजकों को जन्मोत्सव कार्यक्रम के आयोजन हेतु बधाई प्रेषित करते हुए गुरुदेव के जीवन दर्शन पर प्रकाश डाला। प्रो एम सी पांडे, प्राचार्य राज0 स्नातकोत्तर महाविद्यालय रामनगर द्वारा अपने सम्बोधन में कहा गया कि रवींद्रनाथ टैगोर ने भारत का राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ तो लिखा ही है, श्रीलंका के राष्ट्रगान का एक हिस्सा भी टैगोर की कविता से प्रेरित है। इसके साथ ही उन्‍होंने बांग्लादेश का राष्ट्रगान ‘आमार सोनार बांग्ला’ भी लिखा है। टैगोर एक कवि, संगीतकार, नाटककार, निबंधकार ही नहीं, बल्‍क‍ि साहित्य की कई विधाओं में निपुण थे। डॉ एच एस नयाल, प्राचार्य राजकीय महा0 रामगढ़ द्वारा अपने सम्बोधन में गुरुदेव का जीवन परिचय प्रस्तुत करते हुए बताया कि टैगोर बचपन से ही कहानियां और कव‍िताएं ल‍िखते थे। वे महज 8 साल के थे, जब उन्‍होंने अपनी पहली कविता लिखी थी। 16 साल की उम्र में टैगोर की पहली लघुकथा (शॉर्ट स्‍टोरी) प्रकाशित हो गई थी। टैगोर ने 1901 में पश्चिम बंगाल के ग्रामीण क्षेत्र में शांति निकेतन स्थित एक प्रायोगिक विद्यालय की शुरुआत की। इस स्‍कूल में उन्‍होंने भारत और पश्चिमी परंपराओं को मिलाने की कोशिश की। 1921 में यह विद्यालय विश्व भारती विश्वविद्यालय बन गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे शांतिनिकेतन ट्रस्ट फॉर हिमालया के अध्यक्ष श्री देवेन्द्र ढ़ैला द्वारा अपने अध्यक्षीय उदबोधन में वर्ष 2015 से लेकर वर्तमान तक के जन्मोत्सव कार्यक्रमों को याद करते हुए रामगढ़ में शांतिनिकेटन विश्वविद्यालय के परिसर की स्थापना के सफर में सहयोगी रहे सभी प्रबुद्ध जनों का आभार तथा धन्यवाद व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन श्री देवेन्द्र बिष्ट द्वारा किया गया। कार्यक्रम में निकटवर्ती विद्यालयों के छात्र छात्राओं ने कलश यात्रा निकाली जिसे कार्यक्रम में मौजूद लोगों के साथ स्थानीय लोगों ने भी सराहा। जन्मोत्सव कार्यक्रम में स्थानीय नागरिकों सहित श्री नवीन वर्मा, अध्यक्ष प्रांतीय उद्योग व्यापार मण्डल, डॉ सुरेश डालकोटी, श्री हेमंत डालकोटी, डॉ ममता असवाल, डॉ आरती पंत, डॉ भास्कर चौधरी, डॉ मनप्रीत, डॉ शकील, डॉ पंकज उप्रेती, डॉ निम्मी पंत, डॉ विनीता पांडे, डॉ प्रमोद अग्रवाल गोल्डी, डॉ ममता जोशी, डॉ निधि वर्मा, डॉ तेज प्रकाश, श्री मति सुविष्टा चक्रवर्ती बिष्ट, श्री आनंद बिष्ट, श्री चंपा जोशी, डॉ रोमा गुहा, श्री अंकित पांडे, श्री कमलेश बिष्ट, श्री किशन भट्ट, श्री सी एस कनवाल, डॉ विनोद जोशी, डॉ जीवन उपाध्याय, डॉ मनोज पांडे, श्री मती पूजा जोशी, पंकज भट्ट, अब्दुल समीर, आस्था अधिकारी, मीनू जोशी आदि उपस्थित रहे।

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