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उत्तराखण्ड

दमुवाढुंगा को मालिकाना हक देने की सरकार की नियत साफ नहीं: बल्यूटिया


दमुवाढुंगा को मालिकाना हक देने की सरकार की नियत साफ नहीं: बल्यूटिया
-हाईकोर्ट में सरकार की ओर से दाखिल प्रति शपथ पत्र पर उठाए सवाल
-बोले दमुवाढुंगा क्षेत्र को मालिकाना हक दिलाने के लिए सड़क से लेकर सदन तक करेंगे संघर्ष
हल्द्वानी।
हल्द्वानी नगर के दमुवाढुंगा क्षेत्र में जमीन के मालिकाना हक को लेकर हाईकोर्ट में कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता दीपक बल्यूटिया की ओर से दायर की गई जनहित याचिका के बाद प्रदेश सरकार की ओर से प्रति शपथ पत्र दाखिल कर दिया गया है। शपथ पत्र में सरकार की ओर से कहा गया है कि क्षेत्र की आबादी 100 प्रतिशत होने के कारण वहां सर्वे कराना संभव नहीं है। सरकार के इस शपथ पत्र के बाद एक बार फिर दमुवाढुंगा क्षेत्र के लोगों को मालिकाना हक मिलने की उम्मीदों पर झटका लगा है।
कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता दीपक बल्यूटिया ने बताया कि जवाहर ज्योति दमुवाढुंगा क्षेत्र के लोगों को उनकी जमीन का मालिकाना हक दिलाने को लेकर उनकी ओर से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। पिछले साल जुलाई में दायर की गई जनहित याचिका में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने प्रदेश सरकार को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया था। प्रदेश सरकार की ओर से रिकॉर्ड ऑफिसर के रूप में जिलाधिकारी नैनीताल तथा असिस्टेंट रिकॉर्ड ऑफिसर के रूप में एसडीएम हल्द्वानी की ओर से हाईकोर्ट में प्रति शपथ पत्र दाखिल कर दिया गया है। प्रति शपथ पत्र में सरकार की ओर से कहा गया है कि दमुवाढुंगा क्षेत्र 100% आबादी वाला क्षेत्र होने के कारण यहां सर्वे कराना संभव नहीं है। सरकार के इस प्रति शपथ पत्र के बाद दमुवाढुंगा क्षेत्र को मालिकाना हक मिलने की उम्मीदों पर एक बार फिर झटका लगा है।
बल्यूटिया का कहना है कि जवाहर ज्योति दमुआढुंगा लगभग 650 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। यहां लगभग 7000 परिवार निवास करते हैं। 1958 के बंदोबस्त के समय इस क्षेत्र को आरक्षित वन क्षेत्र में शामिल कर लिया गया था। तथा 6 जुलाई 1969 को यहां पर ग्राम पंचायत का गठन हुआ। इस क्षेत्र के विकास को दृष्टिगत रखते हुए तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 5 मार्च 2014 के शासनादेश से इस क्षेत्र को 3 वार्ड 35, 36 तथा 37 में विभक्त कर नगर निगम में शामिल किया गया। साथ ही इस क्षेत्र को आरक्षित वन क्षेत्र से अनारक्षित भूमि में परिवर्तित कर दिया गया। उत्तर प्रदेश जमीदारी विनाश एवं भूमि सुधार अधिनियम 1950 की धारा 2 की उप धारा 4 के अंतर्गत उक्त भूमि को यहां के निवासियों को भूमिधरी का अधिकार प्रदान करने हेतु जोड़ दिया गया। इसके बाद 15 दिसंबर 2016 की अधिसूचना द्वारा उत्तर प्रदेश जमीदारी विनाश एवं भूमि सुधार अधिनियम 1950 (उत्तराखंड राज्य में यथा प्रवत) की धारा 3 के खंड 25 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जवाहर ज्योति दमुआढुंगा को राजस्व ग्राम गठित किए जाने की स्वीकृति प्रदान की गई। 20 दिसंबर 2016 की अधिसूचना के आधार पर सर्वेक्षण एवं अभिलेख संक्रियाओं के अधीन उक्त ग्राम को रखा गया अर्थात बंदोबस्ती सर्वेक्षण द्वारा पूरे ग्राम के नक्शे एवं अभिलेख तैयार करने की प्रक्रिया शुरू की गई। ताकि जवाहर ज्योति दमुआढुंगा में रहने वाले निवासियों को भूमि के विनियमितीकरण के अधिकार प्रदान किए जा सके। किंतु कोविड-19 के दौरान सरकार द्वारा 13 मई 2020 को एक अधिसूचना जारी की गई। इसके तहत जवाहर ज्योति दमुवाढुंगा की बंदोबस्ती प्रक्रिया को निरस्त कर दिया गया तथा भूमि सर्वेक्षण एवं अभिलेख प्रणाली की प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया गया। ऐसे में दमुवाढूंगा निवासियों को भूमि के विनियमितीकरण संबंधी अधिकार मिलने की संभावना खत्म हो गई।
बल्यूटिया ने कहा कि उन्होंने सरकार की ओर से जारी 13 मई 2020 की अधिसूचना को रद्द करने की चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की। याचिका में न्यायालय से भू राजस्व अधिनियम 1901 की धारा 48 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भूमि में सर्वेक्षण एवं अभिलेख संक्रियाओं को पुनः शुरू कराने की प्रार्थना की गई। ताकि जवाहर ज्योति दमुवाढूंगा में निवास कर रहे निवासियों को उनके अधिकार प्रदान किए जा सके। उन्होंने प्रदेश सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार की ओर से जिस तरह का प्रति शपथ पत्र हाईकोर्ट में दाखिल किया गया है उससे दमुवाढुंगा क्षेत्र की जनता मायूस है। दीपक ने कहा कि हम पूरे तथ्यों के साथ माननीय अदालत में क्षेत्र की जनता की पैरवी कर रहे हैं। इस संघर्ष को जारी रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि वह इस लड़ाई को सड़क से लेकर सदन तक लड़ेंगे और क्षेत्र की जनता को न्याय दिलाकर रहेंगे।

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