उत्तराखण्ड
सरकारी अस्पतालों के चिकित्सक मरीजों को लिख रहे हैं बाहर की दवाई ,,
हल्द्वानी,,स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय समय पर जनहित में सरकारी फरमान जारी करती रहती है कि सरकारी अस्पतालों के चिकित्सकों को बाहरी दवाओं के लिए आदेश जारी किए गए हैं कोई भी चिकित्सक मरीजों को बाहर की दवाई नहीं लिखेगा ,जो दवाई चाहिए वो इंडेन बना कर हॉस्पिटल में उपलब्ध कराए,,लेकिन सच तो यही है इन चिकित्सकों को सरकारी आदेश से क्या लेना देना ,मामला सुशीला तिवारी अस्पताल का है जहां पर आर्थ्रोपेटिक चिकित्सक डॉ कृष्णा देव सिंह द्वारा मरीज भगवती देवी को देखा उनके घुटने में सूजन थी जिसको लेकर डॉ कृष्णा देव सिंह ने बाहरी दवाओं का पर्चा लिख दिया उसके बाद उनको कहा गया कि आपको एक इंजेक्शन लगना है जिसकी कीमत 1000 रुपए है और वो आपको मैं दोपहर 2 बजे बाद निजी अस्पताल ईजा अस्पताल में लगा दूंगा ,2 बजे बाद में मैं अपनी सेवाएं वही पर देता हूं लेकिन मामला वरिष्ठ पत्रकार भुवन जोशी की धर्मपत्नी का था जिसकी सूचना डॉ अरुण जोशी जी को दी उन्होंने कहा कि आप लिखित रूप से शिकायत दे इस पर हम अवश्य करवाई करेंगे ,,सवाल इस पर इस तरह चिकित्सक जो पगार तो सरकार से ले रहे हैं,सरकार नॉन अलाउंस का पैसा भी दिया जाता है लेकिन उसके बाद इस तरह के चिकित्सक पर सरकार के आदेशों का पालन न करना पर ही सवाल उठता है, ये मामला पत्रकार से जुड़ा हुआ था तो सामने आ गया ऐसे कई मरीजों का रोज ही उल्लू बनाए जाते होंगे ,,आखिर इन सरकारी अस्पतालों की छवि इन्हीं चिकित्सकों द्वारा की जाती हैं,जो कुछ स्वार्थ के लिए अपना फायदा उठाने में कामयाब होते हैं
