उत्तराखण्ड
भू कानून मूल निवास लटकाने से आक्रोशित रीजनल पार्टी का धरना प्रदर्शन।,
देहरादून,,राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी ने सख्त भू कानून और मूल निवास 1950 लागू करने की मांग को लेकर आज दीनदयाल उपाध्याय पार्क देहरादून में धरना प्रदर्शन तथा जमकर नारेबाजी की।
कुछ समय बाद मौके पर पहुंचे नायब तहसीलदार राजेंद्र सिंह रावत के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा गया।
राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी के दर्जनों कार्यकर्ताओं ने सरकार से भूमि कानूनों में हुए संशोधनों को रद्द करने की मांग की तथा मूल निवास 1950 के आधार पर ही आरक्षित निकाय पंचायत तथा विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों की अर्हता सुनिश्चित करने की मांग की।
राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवप्रसाद सेमवाल ने आक्रोश जताया कि उत्तराखंड सरकार मजबूत भू-कानून को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं दिखाई दे रही है। सरकार बजट सत्र में भू-कानून लाने की बात कर रही है, लेकिन किस तरह का भू-कानून सरकार लाएगी, स्थिति स्पष्ट नहीं है।
शिवप्रसाद सेमवाल ने मांग की कि, सर्वप्रथम वर्ष 2018 के बाद भूमि कानूनों में हुए सभी संशोधनों को अध्यादेश के जरिये रद्द किया जाय। भूमि कानून की धारा-2 को हटाया जाए। इस धारा की वजह से नगरीय क्षेत्रों में गांवों के शामिल होने से कृषि भूमि खत्म हो रही है। 400 से अधिक गांव नगरीय क्षेत्र में शामिल हुए हैं और 50 हजार हैक्टेयर कृषि भूमि को खुर्द-बुर्द करने का रास्ता खोल दिया गया।
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संजय डोभाल ने कहा कि भूमि कानून के बिल को विधानसभा में पारित करने से पूर्व इसके ड्राफ्ट को जनसमीक्षा के लिए सार्वजनिक किया जाए। निवेश के नाम पर दी गई जमीनों का ब्यौरा और इससे मिले रोजगार को सार्वजनिक किया जाय।
रीजनल पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष सुलोचना ईष्टवाल ने मांग की कि, कानून का उल्लंघन कर जिन लोगों ने 250 वर्ग मीटर से अधिक जमीन खरीदी है, उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाय।
जिलाध्यक्ष उपेंद्र सकलानी ने कहा कि मूल निवासियों का चिन्हीकरण होना चाहिए और इस आधार पर 90% नौकरियों और सरकारी योजनाओं में मूल निवासियों की भागीदारी होनी चाहिए।
मूलनिवास भूकानून समिति के संयोजक प्रांजल नौडियाल ने कहा कि सरकार भू कानून और मूल निवास पर अपनी मंशा साफ करे। मूल निवास की परिभाषा और भू कानून में हुए बदलावों पर सरकार तुरंत प्रभाव से कार्यवाही करे अन्यथा जनता इन मुद्दों पर समिति के नेतृत्व में सरकार से आर-पार की लड़ाई लड़ने को कमर कस चुकी है।
प्रांजल नौडियाल ने कहा कि आज राज्य की स्थिति बद से बदतर हो गई है। ज़मीन के कानून खुर्द बुर्द किये गए और मूल निवासियों के अधिकार छीने गए।
अगर जल्द ही सरकार ने भू कानून पर अपनी मंशा स्पष्ट नहीं की तो फिर उत्तराखंड में व्यापक जन आंदोलन शुरू किया जाएगा।
ये लोग रहे प्रमुखता से शामिल
मूल निवास भू कानून की मांग को लेकर आयोजित रीजनल पार्टी के धरने में पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संजय डोभाल, प्रदेश अध्यक्ष सुलोचना ईष्टवाल, जिला अध्यक्ष उपेंद्र सकलानी, संगठन सह सचिव राजेंद्र गुसाई, प्रसार सचिव विनोद कोठियाल, सुरेंद्र चौहान, जगदम्बा बिष्ट, शांति चौहान, मंजू रावत, बलबीर सिंह नेगी, गुलाब,सिंह रावत, मनवीर भंडारी, शैलेन्द्र गुसांई, देवेन्द्र बेलवाल, रजनी कुकरेती, शांति चौहान, बसंती गोस्वामी, सुशीला बिष्ट, सोनम राणा, कुसुम खंकरियाल, रिंकी कुकरेती, सुभाष नौटियाल
यशोदा नौटियाल, सरोज नेगी, दयानंद मनोड़ी, राजवीर खत्री, कैप्टन प्रदीप उनियाल आदि कार्यकर्ता प्रमुखता से
शामिल थे।
ये हैं प्रमुख मांगें
- मूल निवास की कट ऑफ डेट 1950 लागू की जाए।
- प्रदेश में ठोस भू-कानून लागू हो।
- गैरसैंण को प्रदेश की स्थाई राजधानी घोषित किया जाए
- प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगे।
- शहरी क्षेत्रों में 250 मीटर भूमि खरीदने की सीमा लागू हो।
- गैर कृषक द्वारा कृषि भूमि खरीदने पर रोक लगे।
- पर्वतीय क्षेत्र में गैर पर्वतीय मूल के निवासियों के भूमि खरीदने पर तत्काल रोक लगे।
- राज्य गठन के बाद से वर्तमान तिथि तक सरकार की ओर से विभिन्न व्यक्तियों, संस्थानों, कंपनियों आदि को दान या लीज पर दी गई भूमि का ब्यौरा सार्वजनिक किया जाए।
- प्रदेश में विशेषकर पर्वतीय क्षेत्र में लगने वाले उद्यमों, परियोजनाओं में भूमि अधिग्रहण या खरीदने की अनिवार्यता है या भविष्य में होगी, उन सभी में स्थानीय निवासी का 25 प्रतिशत और जिले के मूल निवासी का 25 प्रतिशत हिस्सा सुनिश्चित किया जाए।
- ऐसे सभी उद्यमों में 80 प्रतिशत रोजगार स्थानीय व्यक्ति को दिया जाना सुनिश्चित किया जाए।