उत्तराखण्ड
परगना समिति व जिला समिति का गठन कर प्राप्त दावों का वन अधिकार अधिनियम 2005 के अुनसार त्वरित निस्तारण किया जाये।,, आयुक्त
नैनीताल के भाबर क्षेत्र में भूमि सम्बन्धी कई प्रकार की कठिनाईयां जनमानस को आ रही है तथा बहुत से भूमि सम्बन्धित मामले विभिन्न न्यायालायों में भी चल रहे है। भूमि सम्बन्धी कठिनाईयो के समाधान हेतु मण्डलायुक्त श्री सुशील कुमार ने राजस्व एंव वन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक एलडीए सभागार में की।
बैठक में वन अधिकार अधिनियम, गवरमेन्ट ग्रान्ट एक्ट, वर्ग-4, वर्ग-3, वर्ग-1(ख) आदि पर विस्तृत चर्चा की गई। आयुक्त ने कहा कि वन अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत वन ग्रामों, खत्तों में वनभूमि में 75 वर्ष अथवा 3 पीडियों से निवास कर रहे वासियों को वन अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत भू-स्वामित्व लाभ दिया जाये। इस हेतु उन्होने विभिन्न परगनों के अन्तर्गत प्राप्त दावों का निस्तारण किया जाये। उन्होने कहा कि दावों के निस्तारण हेतु ग्राम स्तरीय समिति, परगना समिति व जिला स्तरीय समिति का गठन कर प्राप्त दावों का वन अधिकार अधिनियम 2005 के अुनसार त्वरित निस्तारण किया जाये। उन्होने कहा कि व्यक्तिगत दावों व कम्यूनिटी दावो के साथ लगे साक्ष्यों का गहनता से भलि-भंाति परीक्षण किया जाये। साथ ही तीनो समिति स्तरों पर प्राप्त प्रस्तावों का निस्तारण करते हुए सभी सदस्य रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करना सुनिश्चित करेगे।
जिलाधिकारी श्री धीराज गर्ब्याल ने बताया कि जनपद में तीनों स्तर की कमेटियां गठित है जो कार्य कर रही है। उन्होने बताया कि वन अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत भू-स्वामित्व दिये जाने हेतु हल्द्वानी परगने में ग्राम स्तर समिति से परगना स्तरीय समिति में 346 दावें प्राप्त हुये है जबकि रामनगर परगने में अनुसूचित जाति ग्राम रामपुर में 127, लेटी में 117 व चोपड़ा गांव में 87 दावे प्राप्त हुए है। परगना समिति द्वारा सभी प्राप्त दावों का जांच एंव परीक्षण कर जिला स्तर कमेटी को प्रेषित की गई है। जिस पर आयुक्त ने जिला स्तरीय कमेटी से शीघ्र जांच परीक्षण कर दावों को शासन स्तरीय कमेटी को भेजने के निर्देश दिये।
आयुक्त ने वर्ग-4 भूमि के विनियमितिकरण हेतु प्राप्त प्रकरणों को निस्तारण करने के निर्देश दिये तथा गवरमेन्ट ग्रान्ट एक्ट के तहत पट्टा धारकों के विनियमितिकरण हेतु प्रचलित अधिनियम एंव नियमों में संशोधन हेतु प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश अपर आयुक्त को दिये तांकि संशोधन प्रस्ताव शीघ्र शासन को भेजा जा सके।