उत्तराखण्ड
भीमताल, भवाली, कैंची के यातायात जाम से ट्रांसपोर्ट कारोबार में हो रहा नुकसान,
भीमताल,,, बड़े वाहनों को। दिन में पहाड़ के लिए आने-जाने में रोक के कारण समय पर नहीं पहुंच पा रहा सामानहफ्ते में 1-2 चक्कर तक सिमट गया ट्रांसपोर्ट के ट्रकों का फेरा
कुमाऊं के खासकर पर्वतीय क्षेत्रमें बढ़ते ट्रैफिक जाम से ट्रांसपोर्टर काफी परेशान हैं। इस समस्या के कारण उनकी आय कम हो रही है और वे अपने काम को ठीक से नहीं कर पा रहे हैं। जाम के कारण उन्हें काफी समय बर्बाद करना पड़ रहा है और वे अपनी नियत जगह तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। इस विषय पर उत्तराखंड देवभूमि ट्रक ओनर्स ट्रांसपोर्ट महासंघ ने काफी गहरी चिंता जाहिर करते हुए उत्तराखंड सरकार,मंडल प्रशासन व जिला प्रशासन से समाधान निकालने की मांग करी है जानकारी देते हुए महासंघ अध्यक्ष राकेश जोशी महासंघ के प्रदेश प्रवक्ता हरजीत सिंह चड्ढा ने बताया कि ट्रैफिक जाम के कारण ट्रांसपोर्टरों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, जैसे कि समय और ईंधन की बर्बादी, आय में कमी, और काम में रुकावट के साथ साथ रोजगार का संकट बढ़ता चला जा रहा है
यातायात जाम से ट्रांसपोर्ट कारोबार में हो रहा नुकसान
दिन में पहाड़ के लिए आने-जाने में रोक के कारण समय से नहीं पहुंच पा रहे ट्रांसपोर्टों के माल वाहक वाहन
ट्रांसपोर्टर नेता पंडित दया किशन शर्मा और ट्रांसपोर्टर नेता ललित रौतेला व ग्रीस मेलकानी ने जानकारी देते हुए बताया
देवाल, धारचूला, जौलजीबी तक एक हफ्ते में एक चक्कर लगा पा रहे
भवाली-खैरना रोड पर लग रहे जाम के कारण ट्रांसपोर्ट कारोबार प्रभावित हुआ है। यातायात जाम और नो एंट्री के चलते ट्रांसपोर्टरों के वाहनों चक्कर करीब आधे हो गए हैं। हल्द्वानी के गोदामों में भी माल डंप होने लगा है। हालात यह हैं कि हफ्ते में 4 से 5 दिन अल्मोड़ा जाने वाले वाहन भी अब दो बार ही सामान लेकर जा पा रहे हैं।
पहाड़ी क्षेत्र के लिए हार्डवेयर, सरिया, सीमेंट, ईंट समेत खाद्य सामग्री हल्द्वानी से सप्लाई की जाती है। यहां ट्रांसपोर्ट नगर से कई कारोबारी पहाड़ को सामान की सप्लाई करते हैं। इसके साथ ही करीब 70 से 80 ट्रांसपोर्टर ऐसे हैं जो दिल्ली, लुधियाना, हापुड़, पिलखुवा, मेरठ से आने वाले रेडीमेट गारमेंट, बर्तन, क्रॉकरी, कॉस्मेटिक्स सहित जनरल स्टोर का सामान पहाड़ के शहरों तक पहुंचाते हैं। मगर कारोबारियों की मानें तो मौजूदा समय में कैंची धाम में लग रहे जाम के कारण उनका कारोबार प्रभावित हुआ है। पहाड़ के लंबे रूटों पर हफ्ते में एक ही फेरा लग पा रहा है, जबकि एक हफ्ते में पहले दो से तीन फेरे आसानी से लग जाते थे। कारोबारियों के मुताबिक एक दिन में करीब 300 ट्रक पहाड़ के लिए ट्रांसपोर्ट नगर से चलते हैं, लेकिन अब इनकी संख्या आधी हो गई है। उनका कहना है कि हालात इसी तरह बने रहे तो कुछ महीनों के लिए वाहन सरेंडर करने को मजबूर होंगे। बताया कि वैकल्पिक रास्तों के सिंगल लेन और लंबा होने के कारण वाहन उन जगहों से जाने में बच रहे हैं। वही ट्रांसपोर्टर नवीन मेलकानी और रोहित रौतेला का कहना है कि
कुमाऊं में इन पर्वतीय क्षेत्र को होती है सप्लाई जो की काफी प्रभावित हो रही है
पिथौरागढ़, मुनस्यारी, धारचूला, जौलजीबी, बागेश्वर, चौखुटिया, पिथौरागढ़, बेरीनाग, गंगोलीहाट, कपकोट, गरुड़, रानीखेत, अल्मोड़ा, ग्वालदम, देवाल, थराली, गरुड़, सेराघाट, सोमेश्वर, बग्वालीपोखर, मासी, पांडुखाल, कौसानी, रीमा आदि नगरों को सामान भेजा जाता है जो की जाम के चलते काफी प्रभावित हो रहा है मांग करने वालों में भास्कर जोशी, ललित पाठक, आफ़ताभ हुसैन,हरीश जोशी राजेश नेलिया नवीन चंद मलकानी किशन कोश्यारी दयाकिशन शर्मा बृजेश तिवारी उमेश चंद पांडे भगवान सिंह मेहरा शिवराज बिष्ट विक्रम बिष्ट आदि लोगों ने सरकार से मांग करी है।
