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उत्तराखण्ड

आशा वर्करों ने मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय किया कूच ,कैलाश पांडेय

• सैकड़ों की संख्या में आशाओं ने “मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय खटीमा कूच” और प्रदर्शन किया।

उत्तराखण्ड राज्य सरकार और मुख्यमंत्री द्वारा की जा रही घोर उपेक्षा के खिलाफ आशाओं के मासिक वेतन और अन्य मांगों पर ऐक्टू से संबद्ध उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन से जुड़ी उत्तराखण्ड राज्य के सभी जिलों के दूर दराज क्षेत्रों से सैकड़ों की संख्या में आयी आशाओं ने 31 अगस्त को “मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय खटीमा कूच” कार्यक्रम में हिस्सा लिया। सरकार की बेरुखी के खिलाफ रोष प्रकट करने के लिए मुख्यमंत्री के कैम्प कार्यालय, खटीमा कूच” का आह्वान किया गया था।

उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन द्वारा जारी बयान में कहा गया कि, “आशा हड़ताल को एक महीना हो गया है लेकिन राज्य के मुख्यमंत्री द्वारा मासिक वेतन समेत आशाओं की मांगों पर कोई भी स्पष्ट घोषणा नहीं करने के चलते ही आशा वर्करों को मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय कूच का निर्णय लेना पड़ा। यदि अब भी सरकार कोई फैसला लेने को तैयार नहीं होती तो आंदोलन को आगे बढ़ाया जाएगा।”

यूनियन ने कहा कि, “राज्य के मुख्यमंत्री खटीमा आ रही आशाओं से मिलकर उनकी समस्याओं के समाधान के बजाय उनको रोकने और आंदोलन को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं जो कि शर्मनाक है। यदि आशाओं के श्रम के प्रति इस सरकार में जरा सा भी सम्मान है तो मुख्यमंत्री मासिक वेतन देने की घोषणा करें।”

आज हड़ताल के 30 वें दिन मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय कूच कार्यक्रम में मुख्य रूप से प्रदेश अध्यक्ष कमला कुंजवाल, प्रदेश महामंत्री डॉ कैलाश पाण्डेय, ऐक्टू प्रदेश महामंत्री के के बोरा, अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश अध्यक्ष आनन्द सिंह नेगी,
इंद्रा देउपा, ममता पानू, रीता कश्यप, सरस्वती पुनेठा, लीला ठाकुर, कुलविंदर कौर, रिंकी जोशी, चम्पा मेहता, ममता तिवारी, सरमीन सिद्दीकी, विजयलक्ष्मी, अनुराधा, पूजा बगड़वाल, देवकी भट्ट,हिमांशु कफलिया, भगवती बोरा, प्रेमा देवतला, राधा रावत, उमा पंत, शांति शर्मा, प्रेमा बृजवासी, सिमरन कौर, बबीता, कमला बिष्ट, निर्मला स्यालकोटी, मुन्नी बिष्ट, रीना बाला, भगवती बिष्ट, सरोज रावत, ललित मटियाली, कमल जोशी, धीरज कुमार आदि समेत सैकड़ों आशाएँ सम्मिलित रहीं।

इस उपलक्ष्य में उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन (ऐक्टू) के प्रदर्शन के बाद एक सात सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल प्रदेश अध्यक्ष कमला कुंजवाल के नेतृत्व में मुख्यमंत्री से मिला। मुख्यमंत्री ने 20 दिन में शासनादेश जारी करने की घोषणा की। आशाओं ने इसे अपनी जीत करार दिया और घोषणा की कि यदि 20 दिन में मुख्यमंत्री ने अपने प्रस्ताव के अनुरूप शासनादेश जारी नहीं किया तो प्रदेश की आशाएँ पुनः आंदोलन पर बाध्य होंगी। फिर देहरादून में विशाल आंदोलन किया जायेगा।


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