उत्तराखण्ड
विद्युत विभाग के सारे कर्मचारी पूरे दिन ड्यूटी से गैरहाजिर, लापरवाही बरतने पर शासन, प्रशासन क्यों नहीं करता सख्त कार्यवाही, ढिलाई बरतने का ही नतीजा।जनता को होती परेशानी।
Rs. Gill
Reports
विद्युत विभाग के सारे कर्मचारी पूरे दिन ड्यूटी से गैरहाजिर, लापरवाही बरतने पर शासन, प्रशासन क्यों नहीं करता सख्त कार्यवाही, ढिलाई बरतने का ही नतीजा।जनता को होती परेशानी।
सितारगंज विद्युत विभाग में शुक्रवार को सारे दिन पूरा स्टाफ/कर्मचारियों को ड्यूटी से गैरहाजिर देखा गया।केवल एक सिक्योरिटी गार्ड ही मोबाइल में मस्त देखने को मिला। कार्यालय मे खाली पड़ी कुर्सियाँ इन कर्मचारियों की मनमानी, लापरवाही का प्रमाण है।एक एक करके आमजनों को वापस लौट ते देखा गया ।50,80 /-हजार रुपए तथा बडे अफसरों को एक से डेढ़ लाख रुपए वेतन लेने वालों पर सरकार की मेहरबानी क्यों।ड्यूटी से नदारद रहने पर आई.पी,सी.भारतीय दंड संहिता लागू क्यों नहीं।फ्री का वेतन लेने वाले गुलछर्रे उड़ा कर मौजमस्ती लेने वाले अफसरों/कर्मचारियों पर प्रशासन द्वारा किसी तरह की कोई कार्यवाही नहीं होती है।पूरे देश में सरकार नाकाम साबित हो रही है।वही आम जनता पर थोडी सी भूल पर तत्काल प्रभाव से कार्रवाई क्यों।देश के कई राज्यों में प्रशासन निर्मूल, नाकामी छिपाकर जनता को मू्र्ख बनाने का काम कर रहा है।
क्षेत्र में बिजली के खंभों पर गलियों मे नीचे लटकते तार मौत को दावत दे रहे हैं।कई जगहों पर बिजली पोल झुके पड़े हैं, क्षेत्र में शहर के किनारे लगे ट्रांसफर्स/संयोजनों के ऊपर लंबी लंबी झाडियां उग रही हैं।शहर मे लगे लोहे के पोलों की जडे़ गलकर पोल गिरने के कगार पर हैं ।लेकिन विभाग अंजान बनकर बैठा है।इतना ही नहीं बल्कि सड़क के बीच लगे पोलो को नहीं हटाया जा रहा है।जिससे सौंदर्यीकरण व यातायात मे बाधा उत्पन्न हो रही है।ऐसे लापरवाह, नाकाम कर्मचारियों व अधिकारियों से कोई क्यों नहीं पूछता है। 29 अक्टूबर शुक्रवार को सारा स्टाफ कहाँ पर गया था और मौजमस्ती मे गुलछर्रे उड़ाने के लिए कहाँ पर गया था।
लगभग सारे विभागों का यही हाल है।क्योंकि नौकरी नहीं जाती और वेतन भी आसानी से मिल जाता है।जिलाधिकारी भी अपनी अध्यक्षता में कहती सुनी गई हैं।जो अधिकारी व कर्मचारी अपनी ड्यूटी को अच्छी तरह से पालन नहीं करता है तो उसके ऊपर विभागीय कार्यवाही की जाएगी।वस कहने तक ही सीमित हैं।फिर भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्यवाही करने की उम्मीद नहीं की जा सकती है।