उत्तराखण्ड
उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय हल्द्वानी और राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान देहरादून भारत सरकार के मध्य एक समझौता ज्ञाप हस्ताक्षरित हुआ,
पवनीत सिंह बिंद्रा
हल्द्वानी ,,उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय हल्द्वानी और राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान देहरादून भारत सरकार के मध्य आज एक समझौता ज्ञाप हस्ताक्षरित हुआ। उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ओम प्रकाश सिंह नेगी ने जानकारी साझा करते हुए बताया कि उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय, राज्य मुक्त विश्वविद्यालयों में एकमात्र ऐसा विश्वविद्यालय है जिसके द्वारा केंद्र सरकार के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के अंतर्गत राष्ट्रीय संस्थान से दिव्यांगजनों के लिए विभिन्न पाठ्यक्रमों और बीएड स्पेशल एजुकेशन पाठ्यक्रम को चलाने के लिए अध्ययन केंद्र स्थापित करने के लिए समझौता ज्ञाप हस्ताक्षरित हुआ। यह समझौता की आप केंद्रीय सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के सचिव श्री राजेश अग्रवाल जी की उपस्थिति में हस्ताक्षरित होकर आदान-प्रदान किया गया। इस कार्यक्रम में उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री खेमराज भट्ट द्वारा विश्वविद्यालय से संबंधित जानकारियां देते हुए बताया गया कि उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय द्वारा संचालित बीएड विशेष शिक्षा पाठ्यक्रम भारतीय पुनर्वास परिषद से मान्यता प्राप्त पाठ्यक्रम है भविष्य में विश्वविद्यालय में एमएड विशेष शिक्षा पाठ्यक्रम और विशेष शिक्षा में शोध संबंधी पाठ्यक्रमों के संचालन के साथ-साथ पीएचडी पाठ्यक्रम भी प्रारंभ करेगी जिसका लाभ दिव्यांगजनों को भी मिलेगा। विश्वविद्यालय एमओयू हस्ताक्षरित होने के उपरांत दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण के लिए जागरूकता संबंधी कार्यशालाओं का आयोजन राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान, देहरादून के साथ मिलकर करेगा। कार्यक्रम में विशेष शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ सिद्धार्थ पोखरियाल ने दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग में उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के विशेष शिक्षा विभाग की रिपोर्ट प्रस्तुत की। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय से सहायक प्राध्यापक श्री तरुण नेगी राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान देहरादून के निदेशक इंजीनियर मनीष वर्मा, प्रधानाचार्य श्री अमित शर्मा उपस्थित रहे साथ ही वर्चुअली रूप से राष्ट्रीय दृश्य दिव्यांगजन सशक्तिकरण के प्राध्यापक डॉ विनोद केन, डॉ पंकज कुमार व डॉ सुरेंद्र कुमार ढालवाल उपस्थित रहे