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उत्तराखण्ड

जब जम्मू कश्मीर को छोड़ कर आर टी आई में कानून इक सामान है, तो फिर उत्तराखंड में क्या अलग और एक तरफ क्यों,

कुलदीप सिंह ललकार देहरादून

देहरादून,,उत्तराखंड सरकार समान नागरिक सहिता लाती है, तो फिर सूचना के अधिकार में नागरिकों को सूचनाएँ मिल रही है पारदर्शिता पूर्ण तरीके से ये जानकारी राज्य सरकार को भी होनी चाहिए
देहरादून. आज प्रेम नगर में राष्ट्र वादी आर टी आई एक्टिविस्ट एंड ह्यूमन राइट्स फेडरेसन भारत द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलदीप सिंह ललकार ने कहाँ की जम्मू कश्मीर को छोड़ कर पूरे देश में इक समान आर टी आई कानून लागू है और सभी सूचना आयुक्तो को एक समान शक्ति व एक समान कानून मिले है, तो उत्तराखंड में सूचना के अधिकार में बहुत कम सूचनाएँ मिल पा रही है, सही सूचनाएँ ना मिलने पर अपील में ना केवल समय अपितु धन का व्यय भी होता है आर टी आई जो की गरीब को न्याय देने के उदेश्य से लागू की गई थी आज उसमें भी विसंगति आ गई है अब तो स्थिति ये है की सूचना आयोग में भी सूचनाएँ प्रदान नहीं की जा रही है, और धारा 23का हवाला दें कर मामले को आकरण ही हाई कोर्ट भेजा जा रहा है जब की माननीय हाई कोर्ट में पहले ही अत्यधिक कैशों का दवाब रहता है इक तरफ माननीय न्यायालय आपसी समझौते के आधार पर मामले निपटाने की प्रक्रिया में जोड़ डाल रहें है, अभी उत्तर प्रदेश में अधिकारीयों द्वारा सूचना ना देने पर फरवरी में अधिकारीयों द्वारा सूचना ना देने पर आर टी आई अधिनियम 2005 की धारा 18(3) के प्रार्व धनों और cpc सिविल प्रक्रिया सहिता (1908) में दी गई शक्ति यों का प्रयोग एक मामले में कर अनुकरणीय उदहारण पेश किया जब इस धारा का प्रयोग उत्तर प्रदेश में हो सकता है, तो उत्तराखंड में क्यों नहीं वहीँ मुख्य मंत्री हेल्पलाइन में आर टी आई कार्यकर्त्ता आपनी जान माल व सुरक्षा समाजिक मुद्दों को उठाने के लिये शिकायत कर्ता है तो पुलिस प्रसासन ये लिख के खाना पूर्ति कर रहा है की व्यक्ति आर टी आई के नाम पर धमका रहा है ये युक्ति संगत नहीं है आर टी आई समाजिक व नागरिक जिम्मेदारी है जिससे केवल भरस्टाचार उजागर होता है जिससे केवल भरस्टाचार करने वाला ही घबरता है वहीँ अगर कोहि किसी को धमकाता है तो वह व्यक्ति कानूनी कार्यवाही के लिये स्वतंत्र होता है मुख्यमंत्री उत्तराखंड हेल्पलाइन में ऐसी झूठी जांच करने वाले अधिकारीयों पर कठोर कार्यवाही होनी चाहिए जब माननीय सर्वोच्च न्यायालय तक आर टी आई कार्यकर्त्ता की सुरक्षा हेतु पूर्व में आदेश व चिंता जता चुकी है और ग्रह मंत्रालय भारत सरकार भी आर टी आई कार्यकर्त्ताओ की सुरक्षा हेतु पूर्व में आदेश व जिओ सभी राज्यों को भेज चुके है अब आर टी आई कार्यकर्त्ताओ की सुरक्षा का विषय राज्य सरकार व पुलिस प्रसाशन का है की वह उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करें ना की बिना तथ्य हर मामले में जनता केआर टी आई एक्टिविस्ट के मौलिक अधिकार को कुचले वहीँ कुछ मामलों में मुख्य मंत्री पोर्टल में शिकायत कर्ता देहरादून रहता है और उसे कर्ण प्रयाग चमोली का दर्शा कर धारा चौकी और नगर कोतवाली पुलिस ये रिपोर्ट बना कर डालती है की व्यक्ति आर टी आई के नाम पर धमकाता है जब धारा चौकी व नगर कोतवाली देहरादून पुलिस का अधिकार क्षेत्र कर्ण प्रयाग और चमोली नहीं तो उन्होंने धमकाने वाली रिपोर्ट कैसे बना दी ये आपने आप में रहषय है उल्टी सीधी जाँच रिपोर्ट बंद कमरों में बनाने वालों पर कठोर कार्यवाही हो वहीँ आर टी आई कार्यकर्त्ताओ की सुरक्षा हेतु आर टी आई जन सुरक्षा बिल लाया जाना चाहिए वहीँ उत्तराखंड सूचना आयोग अधिकारीयों को सम्मानित करेगा और अधिकारीयों की कार्यशाला भी लगाएगा परन्तु नागरिकों के लिये कार्यशाला कब लगाएगा व भरस्टाचार को उजागर करने वाले आर टी आई कार्यकर्त्ताओ का सम्मान करना चाहिए था क्यों कि सूचना आयोग आर टी आई कार्यकर्त्ताओ व अधिकारीयों के बीच सेतुः के रूप में कार्य कर सवाद कायम करता है और ये इक अच्छी नाजिर होती वहीँ राष्ट्रीय माह मंत्री वेद गुप्ता ने कहाँ कि आज आर टी आई कार्यकर्त्ताओ का उत्पीड़न करना आम हो गया है जब कि आर टी आई कार्यकर्त्ता भरस्टाचार को उजागर करते हुए जिम्मेदारी व जवाबदेही से कार्य करता है, तो वह बहुत लोगों कि ना पसंद बन जाता है आर टी आई कार्यकर्त्ता जब शासन प्रसाशन व पुलिस से शिकायत करता है तो आपनी जिम्मेदारी व जवाबदेही से बचने के लिये उसे शिकायत का आदि व आर टी आई के नाम पर धमकाने वाला दर्शा कर उसका उत्पीड़न किया जा रहा है जो कि कतई उचित नहीं अगर किसी भी आर टी आई एक्टिविस्ट के साथ या उनके परिवार के साथ घटना होती है तो ये अधिकारी जिम्मेदार व जवाबदेह होंगे वहीँ उत्तराखंड अध्यक्ष राकेश भट्ट ने कहाँ कि विकेश नेगी बहाना था,आर टी आई कार्यकर्त्ता निशाना था जन सरोकारों के लिये बिना वेतन कार्य कर आपनी जान कि परवाह ना करने वाले आर टी आई कार्यकर्त्ताओ का सम्मान ना करने के स्थान पर उत्पीड़न कर उनके मौलिक, मानवाधिकार व जीवन के अधिकार कि धारा 21 का हनन करने वालो पर कठोर कार्यवाही होनी चाहिए वहीँ मुख्य मंत्री हेल्पलाइन में झूठी व बे सिर पैर कि जाँच करने वालो पर भी कार्यवाही होनी चाहिए कि आखिर इतनी गैर जिम्मेदारना कार्य कर दूसरों के अधिकारों को कुचला जा रहा है वहीँ उत्तराखंड के माह मंत्री राकेश शर्मा ने कहाँ आर टी आई इक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है जिससे केवल भरस्टाचार करने वाला ही भय भीत होता है ना कि अन्य वहीँ प्रदेश कोषाध्यक्ष दीपक गुसांईं ने कहाँ कि आर टी आई कार्यकर्त्ता समाज कि रीढ़ है वह तो राष्ट्र व समाज का कवच है उनकी सुरक्षा राज्य सरकारों कि जिम्मेदारी व जवाब देही है

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