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उत्तराखण्ड

पिछले साल छह महीने के मुख्यमंत्री के रूप में किये गये अपने वायदे को पांच साल का कार्यकाल मिल जाने के बाद कब पूरा करेंगे मुख्यमंत्री जी : डॉ कैलाश पांडेय

पिछले साल छह महीने के मुख्यमंत्री के रूप में किये गये अपने वायदे को पांच साल का कार्यकाल मिल जाने के बाद कब पूरा करेंगे मुख्यमंत्री जी : डॉ कैलाश पांडेय
• वादाखिलाफी का एक साल पूरा होने पर आशाओं का प्रदर्शन

राज्य की आशाओं को पिछले वर्ष 31 अगस्त 2021 को मुख्यमंत्री जी द्वारा किये गये वायदे के अनुरूप मानदेय अभी तक न दिए जाने और कोविड-19 का पिछला बकाया राशि के भुगतान, आशाओं को दिये जाने वाली बकाया राशि के भुगतान व अन्य मांगों के संबंध में राज्यव्यापी कार्यक्रम के तहत महिला अस्पताल हल्द्वानी में उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन (ऐक्टू) द्वारा प्रदर्शन कर उत्तराखंड सरकार के मुख्यमंत्री को उप जिलाधिकारी हल्द्वानी के माध्यम से मांग पत्र प्रेषित किया गया.

इस अवसर पर उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन (ऐक्टू) के प्रदेश महामंत्री डॉ कैलाश पांडेय ने कहा कि,
“पिछले साल 31 अगस्त 2021 को उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन के आंदोलन के बाद खटीमा कैम्प कार्यालय में आशाओं के प्रतिनिधिमंडल से राज्य के मुख्यमंत्री ने आशाओं को मासिक मानदेय नियत करने व डी.जी. हेल्थ उत्तराखंड के आशाओं को लेकर बनाये गये प्रस्ताव को लागू करने का वादा किया था. लेकिन आज 31 अगस्त 2022 को एक साल बीतने के बाद भी यह वादा पूरा नहीं किया गया है. पिछले वर्ष छह महीने के मुख्यमंत्री के रूप में किये गये अपने वायदे को राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में पांच साल का कार्यकाल मिल जाने के बाद कब पूरा करेंगे मुख्यमंत्री जी.”

उन्होंने कहा कि, “स्वास्थ्य विभाग की नियमित कर्मचारी न होते हुए भी स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपनी लगन और मेहनत के साथ बेहतर काम के बल पर आशायें स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ बन चुकी हैं. जिसकी सराहना डब्ल्यूएचओ समेत पूरी दुनिया ने की है लेकिन इसके बावजूद सरकारें आशाओं को उनका वास्तविक हक नहीं दे रही हैं. जमकर लेंगे पूरा काम पर नहीं मिलेगा पूरा दाम आशाओं के साथ आखिर कब तक चलेगा. आज समय आ गया है कि आशाओं के शानदार योगदान के महत्व को समझते हुए उनको न्यूनतम वेतन देते हुए स्वास्थ्य विभाग का स्थायी कर्मचारी घोषित किया जाय और सेवानिवृत्त होने पर सभी आशाओं के लिए अनिवार्य पेंशन का प्रावधान किया जाय.”

यूनियन की हल्द्वानी अध्यक्ष रिंकी जोशी ने कहा कि,
“पिछले कोरोना भत्ते के पैसे का कोई भुगतान आशाओं को नहीं किया गया है. जबकि आशाओं से कोरोना ड्यूटी का कार्य लगातार कराया जा रहा है. सरकारों ने आशाओं को मुफ्त का कार्यकर्ता समझ लिया है यह कब तक चलेगा. एक तो आशाओं न्यूनतम वेतन, कर्मचारी का दर्जा कुछ भी नहीं मिलता दूसरी ओर काम के बोझ को लगातार बढ़ाया जाना कहां तक न्यायोचित है.”

आशाओं ने मांगों पर शीघ्रता से समाधान न करने की स्थिति में आंदोलन की चेतावनी दी।

प्रदर्शन में मुख्य रूप से डॉ कैलाश पांडेय, रिंकी जोशी, रीना बाला, सरोज रावत, प्रीति रावत, हेमा शर्मा, नीमा देवी, सायमा सिद्दीकी, रेशमा, मीना शर्मा, सरिता साहू, सबीना, तबस्सुम, पार्वती, पूनम, आनंदी, रेणू बिष्ट, अंजना, विमला खत्री, छाया आर्य, तुलसी आर्य, चंद्रकला अधिकारी, सावित्री आर्य, भगवती पांडेय, राबिया, फातिमा आदि शामिल रहे.

मांग पत्र के माध्यम से मांग की गई:-

आशाओं को मासिक मानदेय नियत करने व डी.जी. हेल्थ उत्तराखंड के आशाओं को लेकर बनाये गये प्रस्ताव को लागू करने का पिछले वर्ष किया गया वादा पूरा किया जाय. आशाओं को न्यूनतम वेतन, कर्मचारी का दर्जा व सेवानिवृत्त होने पर सभी आशाओं को अनिवार्य पेंशन का प्रावधान करने का प्रस्ताव राज्य मंत्रिमण्डल व विधानसभा से पारित किया जाय.

बकाया कोरोना भत्ता भुगतान तत्काल किया जाय. आशाओं के विभिन्न मदों का पिछला बकाया भुगतान शीघ्रता से किया जाय.

कोरोना के पुराने रिकार्ड फिर से आशाओं से मांगने का आदेश वापस लिया जाय

संजीवनी एप चलाने के लिये आशाओं को बाध्य नहीं जाय और इसका आदेश वापस लिया जाय.

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