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उत्तराखण्ड

विभागों में कर्मचारियों का टोटा, आम जन की फ़जीहत,,

राज्य बने हुए 22, हो चुके हैं लेकिन अभी तक बहुत से ऐसे विभाग हैं जो पूर्ण रूप अस्तित्व में नही है भले ही सिर्फ खानापूर्ति के लिए ढांचा तैयार तो किया गए है लेकिन उनमें पूर्ण रूप से न तो अधिकारी एवम कर्मचारियों का टोटा बना हुआ है ऐसे में आम जनमानस की फजीयत बनी हुई रहती है हम बात करेंगे नैनीताल विकास ,प्राधिकरण की जो कि पूर्ण रूप से अस्तित्व से नही है अगर ,आपको मानचित्र आवेदन करना है तो आपको बार बार चक्कर लगाने पड़ेंगे , एक ये ही विभाग जिसका ढांचा तो खड़ा कर दिया है लेकीन मानचित्र की पेमाइश के लिए जे ई नही है ,,,कहावत हैं एक नाई कहा कहा जाई ,,वाली कहानी चरित्रात साबित हो रही है।उत्तराखंड का सबसे ज्यादा राजस्व शायद प्राधिकरण द्वारा वसूला जाता है फिर भी प्राधिकरण अपने अस्तित्व में नही आ पा है अगर कोई भवन स्वामी अपने भवन का निर्माण बिना मानचित्र के करता है तो ऐसे कई दलाल घूमते नजर आयेगे जो इन छोटे मोटे निर्माण कार्य करने वाले पर नजर रखते हैं तथा प्राधिकरण की डरावा देकर उनसे अवैध वसूली करते हैं अगर भवन स्वामी ने नई दिए तो उनकी ऑनलाइन शिकायत दर्ज करवा देते हैं,। ऐसे में कई विभागीय अधिकारी की भूमिका रहती है, ऐसे कई फरियादी इनकी भूमिका से परेशान रहते हैं,आखिर कब इन पर अंकुश लगाया जायेगा

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