उत्तराखण्ड
नियुक्ति के नाम पर नेताओं तक पहुंचाने के नाम पर एक करोड़ की उगाही ! गृह विभाग ने दिये कार्यवाही के आदेश
बड़ा खुलासा : नियुक्ति के नाम पर नेताओं तक पहुंचाने के नाम पर एक करोड़ की उगाही ! गृह विभाग ने दिये कार्यवाही के आदेश
एक तरफ नर्सेज लगातार आंदोलन में दूसरी तरफ नर्सेज में आपसी लड़ाई तो आखिर कैसे होगी भर्ती?
जी हां राज्य में पिछले 12 वर्षों से अस्पतालों में स्थाई नर्सेज की भर्ती नहीं हुई है,जबकि राज्य में 11741 स्थाई नर्सेज के पद रिक्त पड़े हुए हैं।
ऐसे में 12 दिसंबर 2020 को राज्य सरकार उत्तराखंड द्वारा 2621 पदों पर भर्ती हेतु विज्ञप्ति जारी की गई एवं जिसमें 10,000 से अधिक अभ्यर्थियों ने ₹800 शुल्क जमा कर आवेदन किया।
जिस की परीक्षा तब से लेकर आज तक तीन बार रोक दी गई क्योंकि राज्य में 12 वर्षों से नर्सेज की भर्ती नहीं आई थी जिस कारण अनुभवी नर्सेज वर्षवार नियुक्ति की मांग के लिए आंदोलन करने लगे,अब तक लगभग 300 से ज्यादा ज्ञापन स्वास्थ्य मंत्री एवं मुख्यमंत्री को सौंप दिए गए हैं।
स्वास्थ्य मंत्री धनसिंह रावत स्वयं कई बार मीडिया के सामने आकर यह बात बोल चुके हैं कि 12 वर्षों का वनवास नर्सों का उत्तराखंड के भीतर खत्म होने वाला है और कैबिनेट ने नर्सों की वर्षवार नियुक्ति की मांग को मंजूर कर लिया है,जिसकी प्रक्रिया सचिवालय में चल रही है ।
यही बात प्रदेश की मुखिया पुष्कर सिंह धामी भी स्वीकार चुके हैं।
वहीं दूसरी तरफ पुनः एक बार नर्सेज के भीतर घात की खबरें भी सोशल मीडिया में चलने लगी है। सोशल मीडिया में प्राप्त पत्र के अनुसार एक नर्स स्टाफ राकेश बडोनी द्वारा अन्य तीन नर्सेज स्टाफ के नाम सहित प्रदेश के मुखिया को एक पत्र लिखा है,जिसमें कहा गया है कि नियुक्ति की मांग को लेकर प्रदेश भर की नर्सों से हरिकिशन बिजलवान,रवि रावत एवं गोविंद रावत द्वारा करोड़ से ऊपर की धनराशि एकत्र की गई और कहा गया कि यह रकम आगे नेताओं एवं अधिकारियों तक पहुंचानी है।
अब सवाल खड़ा होता है कि आखिर क्या नर्सेज संगठित नहीं है?
क्योंकि प्राप्त सूचना के आधार पर हमें यह पता चला है कि उक्त पत्र पर अपर मुख्य सचिव गृह द्वारा कार्रवाई के लिए अग्रेषित कर दिया गया है।
अब कई नर्सेज के अंदर यह सवाल है कि यदि यह जांच होती है तो इसके निर्णय आने तक क्या भर्ती प्रक्रिया हो पाएगी?
हालांकि हल्द्वानी के कई नर्सेज आंदोलनकारियों से जब इस संदर्भ में वार्ता की गई तो उन्होंने कहा कि पुनः आंदोलन को कमजोर करने एवं भर्ती प्रक्रिया को लटकाने के लिए खेल रचा जा रहा है और यदि इस पत्र पर जांच होनी भी है तो उसके लिए प्रदेशभर की नर्सेज के भविष्य से खिलवाड़ करना जरूरी नहीं,जिन तीन संदिग्धों के नाम इस पत्र में लिखे गए हैं एवं जिस व्यक्ति के द्वारा यह पत्र लिखा गया है उनकी जांच की जाए और कार्यवाही की जाए परंतु सिर्फ चार लोगों के कारण प्रदेशभर की नर्सों के भविष्य से खिलवाड़ करना किसी भी तरह से उचित नहीं है।
अब आगे देखना होगा कि न्याय विभाग में वर्षवार नियुक्ति की मांग को लेकर पहुंची हुई फाइल आखिर कब न्याय विभाग से आगे बढ़ती है और कब तक 2621 पदों पर वर्ष वार नियुक्ति होती है।