उत्तराखण्ड
धामी सरकार की वादाखिलाफी पर आशाएँ रोष में 5 अक्टूबर से पुनः कार्यबहिष्कार व धरना करने को मजबूर हैं आशाएँ जब तक शासनादेश जारी नहीं बहिष्कार जारी रहेगा
RD. Gill
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• धामी सरकार की वादाखिलाफी पर आशाएँ रोष में
• 5 अक्टूबर से पुनः कार्यबहिष्कार व धरना करने को मजबूर हैं आशाएँ
• जब तक शासनादेश जारी नहीं बहिष्कार जारी रहेगा
ऐक्टू से संबद्ध उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन की राज्य कमेटी की बैठक में उत्तराखंड की भाजपा सरकार की वादाखिलाफी के विरुद्ध 5 अक्टूबर से पुनः हड़ताल पर जाने का फैसला लिया है। गौरतलब है कि उत्तराखण्ड राज्य में आशाओं के 2 अगस्त से 31 अगस्त तक एक माह के कार्यबहिष्कार हड़ताल और आंदोलन के बाद राज्य के मुख्यमंत्री ने 31 अगस्त को आशाओं के प्रतिनिधिमंडल से 20 दिन में बढ़े हुए मानदेय का शासनादेश जारी करने का वायदा किया था। लेकिन एक महीने से अधिक बीत जाने के बाद भी भाजपा की उत्तराखण्ड सरकार और उसके मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने वादे पर अमल नहीं किया है। राज्य सरकार इस वादे को पूरा नहीं करने को लेकर आशाओं में काफी रोष है। ऐसे में उत्तराखण्ड की आशाओं के पास पुनः उग्र आंदोलन करने के अलावा कोई अन्य विकल्प शेष नहीं बचा है। राज्य कमेटी की बैठक में सर्वसम्मति से तय किया गया कि राज्य की भाजपा सरकार की वादाखिलाफी के विरुद्ध 5 अक्टूबर से पुनः अनिश्चिकालीन कार्यबहिष्कार किया जायेगा।
उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन ने जारी बयान में कहा कि, “यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि आशा वर्कर्स के साथ वादे के बावजूद राज्य सरकार ने आशाओं के साथ धोखा किया है। इससे स्पष्ट हो गया है कि सरकार आशाओं की दुर्दशा के भारी असंवेदनशील है। इसलिए आशाएँ पुनः आंदोलन को बाध्य हो गई हैं।”
“मुख्यमंत्री के आशाओं से वादे के बाद गेंद अब मुख्यमंत्री के पाले में है। इसलिए राज्य सरकार को तत्काल आशाओं के मानदेय का शासनादेश जारी करना चाहिए। आशाओं की लंबे समय से की जा रही उपेक्षा के खिलाफ अब आशाएँ एकजुट होकर अपने हक और सम्मान की लड़ाई लड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं। अब उनको रोकना सरकार के लिए संभव नहीं है। इसलिए सरकार की भलाई इसी में है कि आशाओं की मांगों को पूरा करे।”
यूनियन ने अफसोस जताया कि, “आशा जैसी महिला कामगारों का खुला शोषण यह सरकार कर रही है। वादा करके वादाखिलाफी करना भाजपा सरकार का चरित्र बन गया है। जो कि शर्मनाक है।