उत्तराखण्ड
सीएम साहब आयेंगे नहीं, इंस्पेक्टर साहब जाएंगे नहीं
हल्द्वानी। उत्तराखंड राज्य बोले तो धाकड़ धामी! एक साल नई मिशाल, पुष्कर फ्लावर नहीं फायर है! ऐसे ही कई तरह की पंच लाइनों से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की कार्यशैली को जोड़कर देखा ही नहीं जा रहा बल्कि संबोधित भी किया जा रहा है। राज्य के लोगों को अपने युवा सीएम से काफी उम्मीदें है। और शायद यही वज़ह है कि प्रदेश के मुखिया ने अपने ताबड़तोड़ कड़े निर्णयों से अफसरशाही पर लगाम लगाने के साथ ही भ्रष्टाचारियों पर कड़े प्रहार करना प्रारम्भ किया हुआ है। सीएम के द्वारा लिए गए अपने अहम फैसलों में नकल विरोधी कानून, प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर नकेल, सरकारी भूमि पर किसी भी किस्म का अवैध अतिक्रमणों को ध्वस्त करवाना वगैरह वगैरह मुख्य है। अब बात करते है राज्य को राजस्व के रूप मे मिलने वाले श्रोत की, जिनमे खनन, आबकारी व पर्यटन मुख्य है। एक राज्य एक रायल्टी लागू कर जहां धामी ने खनन माफियाओं की कमर तोड़ने का कार्य किया है, वही पर्यटन के क्षेत्र में केंद्र से राज्य को लाखों करोड़ रुपये दिलवाकर उत्तराखंड के पर्यटन को नई दिशा देने का कार्य किया है। अब बात करे नई आबकारी नीति की। इसे लागू कर सीएम ने जहां स्थानीय बेरोजगारों के लिए रोजगार के रास्ते खोले है वहीं इस नीति में बदलाव कर शराब के दामों में छूट भी दी है। यहां उल्लेखनीय है कि हर वर्ष नए ठेके होने के बाद जहां देशी व अग्रेजी शराब के दामों में बेतहाशा वृद्धि कर दी जाती थी वही इस बार सीएम के नए निर्णयों से ठीक इसके उल्ट हुआ है। शराब के दामों को बढ़ाने के बजाय कम कर दिया गया है। अब वो बात अलग है कि कुछ पुराने शराब कारोबारी अपनी आदत से मजबूर होने की वजह से शराब के दाम कम करने के बजाये उल्टा बड़े हुए रेटो में शराब बेचने से बाज नहीं आ रहे है, जबकि नई नीति के अनुसार एक अप्रेल से शराब के दाम गिर जाने चाहिए थे। इस बाबत हमारी बात जब एक शराब की दुकान में काम करने वाले सेल्समैन से हुई तो उसने
बड़ी ही जहरीली मुस्कुराहट चेहरे में लाते हुए कहा कि, अरे साहब नई- नई नीतियां बनतीं रहती है। बड़ी बात है उन पर अम्ल करवाना। उसका कहना था कि इसे लागू कराने के लिए ना तो सीएम साहब दुकान पर आयेंगे और ना ही आबकारी इंस्पेक्टर अपने आफिस से कहीं बाहर जाएंगे!