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उत्तराखण्ड

गौ सेवा की अलख जगाते स्वामी रामेश्वर दास

गौ सेवा की अलख जगाते स्वामी रामेश्वर दास
अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया गौ सेवा को
1200 से ज्यादा गोवंश की सेवा हो रही है गोधाम हल्दूचौड़ आश्रम में
नैनीताल से अजय उप्रेती की रिपोर्ट
हल्दूचौड़ यहां परमा गांव में स्थित हरे कृष्ण आश्रम गौधाम स्वामी रामेश्वर दास की गौ सेवा के प्रति पराकाष्ठा का जीता जागता केंद्र है हरि नाम संकीर्तन के बीच गौ सेवा के उच्च आदर्शों को स्थापित करता यह गोधाम कुमाऊं के सबसे बड़े गौ रक्षा केंद्र के रूप में जाना जाता है स्वामी रामेश्वर दास का गोवंश के प्रति समर्पण और आश्रम के सेवकों की अथक श्रम शीलता गौ भक्ति तथा समाज के गौ भक्तों द्वारा गोधाम को दिया जा रहा सहयोग यह सब इस गौ रक्षा केंद्र के प्रमुख आधार स्तंभ है स्वामी रामेश्वर दास ने अपना तन मन धन यहां तक कि अपना संपूर्ण जीवन गौ सेवा को समर्पित कर दिया गौ सेवा के प्रति उनके अंदर गजब की पराकाष्ठा उन्हें बचपन से ही मिली माता पिता के उच्च आदर्शों और संस्कारों से प्रेरणा लेकर उनका मन गौ सेवा से ओतप्रोत रहा और वहीं से उन्होंने इसे अपने जीवन का संकल्प बना लिया व्रतशील जीवन जी रहे रामेश्वर दास ने वर्ष 1999 में अपनी 2 एकड़ जमीन हरे कृष्णा आश्रम के निमित्त दान कर दी और 25 दिसंबर रविवार 1999 को हरे कृष्ण आश्रम की आधारशिला रखी गई आश्रम में निराश्रित लोगों को सहारा दिया गया गरीब कन्याओं का विवाह संपन्न कराया गया जरूरतमंद लोगों की सेवा का हरे कृष्ण आश्रम प्रमुख केंद्र बनाऔर लोगों के अंदर आध्यात्मिक चेतना के संचार का भी यह आश्रम संवाहक बना आश्रम की ख्याति देखते ही देखते आसपास के अलावा पूरे कुमाऊं में भी फैलने लगी रामेश्वर दास ने अपने संकल्प को दृष्टिगत रखते हुए इसे गौ सेवा केंद्र के रूप में विकसित करने का निश्चय लिया था और 29 मार्च 2006 को लालकुआं पुलिस द्वारा चार बैलों को बध से मुक्त कराया था गोवंश की सेवा को अपने अपने जीवन का लक्ष्य मान चुके रामेश्वर दास उन चार बैलों को अपने आश्रम में ले आए और घास फूस का छप्पर बनाकर उन्हें आश्रय दिया गया नित्य हरिनाम संकीर्तन की गूंज के बीच उसी दिन से यहां पर गौ रक्षा धाम की स्थापना भी हो गई और धीरे-धीरे यह आश्रम गोवंश के क्षेत्र में विस्तार लेता चला गया और आश्रम में निराश्रित गोवंश की संख्या 50 और सौ का आंकड़ा पार करते-करते हजार से भी ऊपर पहुंच गई इसमें अधिकांश गौवंश ऐसे थे जिन्हें वध से मुक्त कराया गया था या जो दुर्घटना में चोटिल हो गए थे अथवा निराश्रित थे इतनी बड़ी संख्या में गोवंश की सेवा कैसे हो इसके लिए रामेश्वर दास जी ने अपने और सहयोगियों के प्रयास से करीब 2 एकड़ जमीन और खरीदी तथा वहां भी एक गौ रक्षा धाम बना दिया गया यह धाम हरे कृष्ण आश्रम से 100 मीटर की दूरी पर स्थित है अधिकांश बीमार गोवंश के आने के चलते उनके उपचार की व्यवस्था को देखते हुए 9 मार्च 2015 को यहां पर गौ माता अस्पताल की भी स्थापना कर दी गई गौ रक्षा के क्षेत्र में कुमाऊं के सर्वश्रेष्ठ धाम में स्थित यहां कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है इसके अलावा रामनवमी व अन्य पर्व भी मनाए जाते हैं

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