उत्तराखण्ड
माननीय के आगमन पर शहर भले की चकाचौंध किया जा हैं वो भी मजदूरों एवम आम जनमानस की जान जोखिम में डालकर,,
हल्द्वानी। माननीय की आगमन की सूचना मिलते ही अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ आन फान शहर को चमकाने में लगे हुए हैं वो भी मजदूरों की जान जोखिम में डालकर टैफिक का दबाव भी शहर में अधिक है कुसुमखेड़ा चौराहा और उजाला सिंगन्स अस्पताल के बीच का है, जहां पर मजदूर बिना सुरक्षा उपकरणों के बीच रोड पर रंग रोशन का कार्य कर रहे हैं। और दिन रात शहर को चमकाने में लगे हुए कि माननीय की नजरों में शहर चकाचौंध दिखाई दे वही गुरुवार की रात 7-8 बजे सड़क पर यह मजदूर अपनी जान जोखिम में डालकर और दूसरे लोगों की जान भी जोखिम में डालकर कार्य कर रहे थे। तभी वहां से एक पत्रकार अपने घर जा रहे थे, आगे से एक गाड़ी जा रही थी और गाड़ी ने टर्न लिया और यह लोग भी सड़क पर अचानक बैठे हुए दिखाई दिए जिससे एक पत्रकार दुर्घटना में बाल बाल बच गए।
आखिर बिना सुरक्षा उपकरणों के किसके निर्देश पर यह कार्य किया जा रहा है। यह कैसी जल्दबाजी की शहर में सड़कों के गड्ढे भरे नहीं गए और रंग रोशन का कार्य कराया जा रहा है। वहां पर जब पत्रकार दुर्घटना होते बाल बाल बच्चे तो इन मजदूरों से बात की। पूछा कि आपको सुरक्षा उपकरण नहीं दिए गए हैं, तो उन्होंने साफ मना किया, तभी वहां इनका कार्य कराता एक ठेकेदार नजर आया और पत्रकार ने उनसे सवाल पूछा कि आप बिना सुरक्षा उपकरणों के कैसे कार्य कर रहे हैं और ऐसे में तो उनकी जान तो जोखिम में डाल ही रहे हैं और दूसरों को भी हादसे के लिए दावत दे रहे हैं तो वह ठेकेदार पत्रकार से ही उलझने लगा, कहने लगा कि आप ही सुरक्षा उपकरण मुहैया करा दो। कई फिजूल की बातें करने लगा। प्रशासन को बिना सुरक्षा उपकरणों के और कार्य कराना और दूसरे की जान जोखिम में डालना और इस रात को रंग रोशन का कार्य करना जरूरी था।
यह समझ से परे था आखिर किसी मजदूर की जान की कोई कीमत नहीं। किसी गाड़ी से मजदूर की टक्कर हो जाए और फिर गाड़ी मालिक से ही लोग आरोप लगाने लगे यह अक्सर देखने में आता है।
सरकारी कार्यों में जब यह लापरवाही है और बिना सुरक्षा उपकरणों के कार्य कराये जा रहे हैं तो समझा जा सकता है कि आम आदमी की कीमत कि किसी को कोई प्रवाह नहीं।