उत्तराखण्ड
नानक नाम चढ़दी कला,तेरे भाणे सरबत द भला।
नानक नाम चढ़दी कला,तेरे भाणे सरबत द भला
साहिब श्री गुरु नानक देव जी के 552 वें प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में विगत कई दिनों से चल रहे कार्यक्रमों के क्रम में आज आखरी कीर्तन दरबार एवं गुरमत समागम का आयोजन गुरद्वारा श्री गुरु सिंघ सभा मे शाम के दीवान के साथ किया गया।शाम 6.30 बजे दीवान की शुरुवात रेहरास साहिब के पाठ से शुरू हुई उपरन्त भाई शमनदीप सिंघ के जत्थे ने मनोहर कीर्तन से सारा वातावरण भक्तिमय कर दिया।संगत ने भी भाई साहिब के साथ कीर्तन,शब्द गाये।उसके बाद भाई बलविंदर सिंघ नई ने कथा विचार करी व गुरु साहिब के जीवन वर्तन्त सुनाये।कार्यक्रम का संचालन जगजीत सिंघ ,जसवंत सिंघ सलुजा जी ने किया।जगजीत सिंघ ने जहाँ गुरु के लंगर के लिए दिए गए सहयोग के लिए एक बार फिर समूह संगत, परिवारो का धन्यवाद करा । अध्यक्ष सरदार रणजीत सिंघ जी ने गुरुद्वारा साहिब के हेड ग्रन्थि जी को,रागी सिंघ जी को एवं स्टाफ को भेंट प्रदान करी ।अंत मे महामंत्री जगजीत सिंघ ने श्री रामलीला कमेटी, नगर प्रशासन,पुलिस प्रशासन एवं जो गुरु साहिब के दर्शन करने ,संगत को बधाई देने गणमान्य आये उन सभी का ,सहयोगी संस्थाओं एवं सेवादारों का एवं समूह साध संगत इलाका निवासियों का आभार प्रकट किया।अंत में गुरु के वजीर भाई अमरीक सिंघ जी ने अरदास करके कार्यक्रम का समापन जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल जयघोष के साथ किया।उपरन्त गुरु महाराज का पावन स्वरूप सुखासन करके समूह संगत ने गुरु का लंगर छका व गुरु साहिब का धन्यवाद करा।आज के दीवान में रंजीत सिंघ, सनप्रीत सिंघ,आतमजीत सिंघ,देवेंद्र सिंघ,अमनपाल सिंघ,जगमोहन सिंघ, बलविंदर सिंघ धवन आदि ने सहयोग किया ।