उत्तराखण्ड
नागरिक सहिंता एक्ट के परीक्षण एवम क्रियान्वयन हेतु बैठक आयोजित,,
हल्द्वानी,
उत्तराखंड शासन द्वारा गठित समान नागरिक सहिंता की विशेषज्ञ समिति के सदस्य सेवानिवृत आईएएस शत्रुघ्न सिंह व सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौड़ की अध्यक्षता मे नगर निगम सभागार में समान नागरिक सहिंता एक्ट के परीक्षण एवम क्रियान्वयन हेतु बैठक आयोजित हुई । इस अवसर पर विभिन्न समुदाय वर्ग, अधिवक्तागण व अन्य ने उत्तराखंड राज्य में समान नागरिक संहिता लागू किए जाने के संबंध में अपने विचार भी बैठक में रखे।
माननीय सदस्य श्री शत्रुघ्न सिंह ने कहा की समिति द्वारा राज्य के सभी हितधारकों के साथ विचार एव सुझाव लिए जा रहे है समिति उन पर गम्भीरता से अध्ययन कर उत्तराखंड शासन को रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी ताकि उन सुझावों को समान नागरिकता सहिंता एक्ट मे सम्मिलित कर एक सशक्त एक्ट बन सके। उन्होंने कहा कि अभी तक समान नागरिक संहिता की वेबसाइट, मेल, व्हाट्सएप ग्रुप एवं जनपद भ्रमण के दौरान सवा दो लाख सुझाव और विचार प्राप्त हो चुके हैं।
माननीय सदस्य मनु गौड़ ने कहा कि कानून की नजर में सब एक समान होते हैं। जाति से परे, धर्म से परे और इस बात से भी परे कि आप पुरुष हैं या महिला हैं, कानून सबके लिए एक ही है। शादी, तलाक, एडॉप्शन, उत्तराधिकार, विरासत लेकिन सबसे बढ़कर लैंगिक समानता वो कारण है, जिस वजह से यूनिफार्म सिविल कोड की आवश्यकता महसूस की जाती रही है। समान नागरिक सहिंता का मतलब है विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे विषयों में सभी नागरिकों के लिए एक जैसे नियम। इसका अर्थ है भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होना, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो।
बैठक के दौरान विभिन्न समुदाय, जनप्रतिनिधियों, महिलाओं व आम जनमानस द्वारा अपने विचार एवं सुझाव रखें मैं शादी की उम्र 18 से 21 या अधिक रखने, जब लड़की की शादी होनी निश्चित हो उस समय कम से कम लडकी ग्रेजुएशन होना अनिवार्य, संपत्ति में लड़का लड़की के साथ ही तीसरा हिस्सा माता-पिता का भी हो, लिविंग रिलेशनशिप के दौरान जो बच्चे पैदा होते हैं उनकी देखरेख हेतु कानून , बच्चे को गोद लेने, शादी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य, तलाक, बाल विवाह, लिविंग रिलेशनशिप का भी रजिस्ट्रेशन,आदि पर अपने विचार और सुझाव दिए।