उत्तराखण्ड
महादेवी वर्मा की रचनाओं विशेष रूप से”श्रंखला की कड़ियों” से नारी विमर्श का आरम्भ माना जाता है। डॉ दीपा
महादेवी वर्मा के जन्मदिवस पर आज एम.बी.राज.महाविद्यालय हल्द्वानी के हिन्दी विभाग में एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। विभागाध्यक्ष डॉ.प्रभा पंत ने महादेवी वर्मा की रचनाओं का उल्लेख करते हुए उनके रचना कर्म पर विस्तृत वक्तव्य दिया। डॉ. पंत का कहना था महादेवी की कविता में जहां भावनाएं उमड़ पड़ती हैं वहीं गद्य में उनके विचारों की अभिव्यक्ति हुई है। डॉ.दीपा गोबाडी ने महादेवी वर्मा के अनछुए पहलुओं के बारे में बताया। डॉ.जगदीश जोशी ने कहा कि महादेवी वर्मा की रचनाओं विशेष रूप से”श्रंखला की कड़ियों” से नारी विमर्श का आरम्भ माना जाता है। डॉ.अमिता प्रकाश का कहना था कि किसी साहित्यकार का उसकी व्यक्तिगत या पारिवारिक पृष्ठभूमि के आधार पर उसका मूल्यांकन उचित नहीं है। उसके रचना कर्म को ही आधार बनाया जाना चाहिए। परिचर्चा में डॉ.अनीता जोशी, डॉ.देवयानी भट्ट, डॉ.चंद्रा खत्री, डॉ.आशा हरबोला, डॉ.जयश्री भंडारी, डॉ.विमला सिंह, डॉ.मीनाक्षी राना आदि ने अपने विचार व्यक्त किए।