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उत्तराखण्ड

अपने हक के लिए अब बेबस है ,ए एन एम की छत्राये,

हताश और निराशा ,अंत मे बेबस ,,,,, प्रशिक्षित बेरोज़गार ए एन एम की छत्राये , अब बेबसी से जूझ रही हैं हर युवा वर्ग का सपना होता है कि कुछ करू तथा अपने प्रयासों से वह अपनी प्रतिभा अनुसार अपना फील्ड की तलाश शुरू करता है कि किस झेत्र में जाना उचित होगा, आज हम बात करते हैं ए एन एम की जो अपनी डीग्री कंप्लीट करके दर दर भटक रहे हैं जब उत्तराखंड राज्य बना तो युवाओं के चेहरे खिल उठे थे कि अपने राज्य में कुछ नए अवसर प्राप्त होंगे ,पर युवा पीढ़ी को हताश ही नजर आई , 2008 से ए एन अम की छात्र छत्राये अपनी नॉकरी की तलाश में भटक रही हैं सरकार ने 2016 में 400 पोस्ट निकाली जिसमे सिर्फ 280 ए एन एम की छात्रों को लिया पर 400 की भर्ती निकाली और 280 को ही लिया ये प्रश्न चिन्ह लग गया उसके बाद से आज तक कोई भी नॉकरी नही है सरकार ने ए एन एम की पोस्ट ही खत्म कर दी है अब जिन बच्चों के माँ बाप ने कर्ज लेकर अपने बच्चों को ये कोर्स करवाया इन माँ बाप पर क्या बीत रही होगी क्योंकि ए एन एम को निजी अस्पताल वाले नॉकरी नही देते है वो जी एन एम को को लिया जाता हैं ,आज तक ये बच्चे अपने हक के लिए लड़ रहे हैं सरकारे अपनी आँखें बंद करके बैठी हुई है, ये बच्चे अब हताश ,और निराश ,और अब बेबस हो गए है,

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