उत्तराखण्ड
अनिश्चितकालीन कार्यबहिष्कार का सातवां दिन आशाओं के मामले में सरकार बेवजह की हठधर्मिता अपना रही है
• अनिश्चितकालीन कार्यबहिष्कार का सातवां दिन
• आशाओं के मामले में सरकार बेवजह की हठधर्मिता अपना रही है
आशाओं की समस्याओं का समाधान करने के लिए चल रहा कार्यबहिष्कार सातवें दिन भी जारी रहा। ऐक्टू से संबद्ध उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन ने कहा कि लंबे समय से काम के बदले मानदेय फिक्स करने की लड़ाई लड़ रही आशाओं को मानदेय फिक्स करने और अन्य मांगों पर ध्यान देना स्वास्थ्य विभाग और आम जनता के हित में है।
यूनियन ने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि, “आशाओं के श्रम का लगातार शोषण खुद सरकार ही कर रही है। इस पर लगातार सरकार का ध्यान आकर्षित करने के बावजूद सरकार की उदासीनता समझ से परे है। इस सरकार को राज्य में काम कर रही हजारों आशाओं के हित की कोई चिंता नहीं है इसीलिए यह सरकार इतनी हठधर्मिता के साथ अपनी ही कही बात को लागू करने को तैयार नहीं है।”
महिला अस्पताल हल्द्वानी में सातवें दिन हुए प्रदर्शन में रिंकी जोशी, रीना बाला, प्रीति रावत, सरोज रावत, मनीषा आर्य, दीपा उपाध्याय, राबिया, गीता बोरा, भारती, मुन्नी दुर्गापाल, बबीता, प्रियंका, मंजू रावत आदि मौजूद रहे।
आशाओं की मांगें-
1- मुख्यमंत्री आशाओं से खटीमा में किया अपना वादा पूरा करें।
2- आशा वर्करों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा और न्यूनतम 21 हजार वेतन लागू किया जाय।
3- जब तक मासिक वेतन और कर्मचारी का दर्जा नहीं मिलता तब तक आशाओं को भी आंगनबाड़ी जैसी अन्य स्कीम वर्कर्स की तरह मासिक मानदेय फिक्स किया जाय।
4- सभी आशाओं को सेवानिवृत्त होने पर पेंशन का प्रावधान किया जाय और जिन आशाओं की पैदल ड्यूटी करते करते घुटनों में दिक्कतें आ गई हैं उनके लिए एक मुश्त पैकेज की घोषणा की जाय।
5- पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा घोषित कोरोना भत्ता तत्काल आशाओं के खाते में डाला जाय और कोविड कार्य में लगी सभी आशा वर्करों कोरोना ड्यूटी की शुरुआत से 10 हजार रू० मासिक कोरोना-भत्ता भुगतान किया जाय।
6- कोविड कार्य में लगी आशाओं वर्करों की 50 लाख का जीवन बीमा और 10 लाख का स्वास्थ्य बीमा लागू किया जाय ।
7- कोरोना ड्यूटी के क्रम में मृत आशा वर्करों के आश्रितों को 50 लाख का बीमा और 4 लाख का अनुग्रह अनुदान भुगतान किया जाय. उड़ीसा की तरह ऐसे मृत कर्मियों के आश्रित को विशेष मासिक भुगतान किया जाय।
8- सेवा(ड्यूटी) के समय दुर्घटना, हार्ट अटैक या बीमारी होने की स्थिति में आशाओं को सुरक्षा प्रदान करने के लिए नियम बनाया जाय और न्यूनतम दस लाख रुपये मुआवजे का प्रावधान किया जाय।
9- देय मासिक राशि और सभी मदों का बकाया सहित समय से भुगतान किया जाय।
10- आशाओं के विविध भुगतानों में नीचले स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार व कमीशनखोरी पर लगाम लगायी जाय।
11- सभी सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति तत्काल की जाय।
12- आशाओं के साथ अस्पतालों में सम्मानजनक व्यवहार किया जाय।
13- जब तक कोरोना ड्यूटी के लिए अलग से मासिक भत्ते का प्रावधान नहीं किया जाता तब तक आशाओं की कोरोना ड्यूटी न लगायी जाय।