Connect with us

उत्तराखण्ड

भाजपा शासित उत्तर प्रदेश में कानून—व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है ,,डा कैलाश पाण्डेय,,

हल्द्वानी,,,,,,,,अतीक अहमद और अशरफ अहमद की पुलिस की मौजूदगी में टीवी कैमरों के सामने हुई हत्या बताती है कि भाजपा शासित उत्तर प्रदेश में कानून—व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है.

प्रयागराज में पुलिस हिरासत में बीती रात उत्तर प्रदेश के सजायाफ्ता नेता अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ अहमद की टीवी कैमरों के सामने हुई हत्यायें खुल कर कह रही हैं कि भाजपा शासित उत्तर प्रदेश में कानून के राज का कोई स्थान नहीं है. योगी आदित्यनाथ लगातार अपनी सरकार के निर्देशों पर एनकाउन्टर के नाम में की जा रही गैरन्यायिक हत्याओं को शेखी के साथ अपराध के खिलाफ प्रभावी कदम कहते रहे हैं. लेकिन हैरानी की बात है कि अतीक और अशरफ को इतने करीब जाकर गोली मारी गई तो पुलिस चुपचाप देखती रही और हत्यारों को उनका काम खत्म करके आत्मसमर्पण करने का इंतजार करती रही.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने खुलेआम अतीक अहमद को मिट्टी में मिला देने की धमकी दी थी जिसके बाद अतीक अहमद ने सर्वोच्च न्यायालय में सुरक्षा देने की अपील की थी. अतीक के वकील ने अदालत से कहा था कि उनके मुवक्किल का गुजरात से उ.प्र. स्थानान्तरण दरअसल मौत का वारन्ट है. सर्वोच्च न्यायालय ने सुरक्षा की उस अपील को खारिज करते हुए उम्मीद जताई थी कि चूंकि वह पहले से ही पुलिस हिरासत में है इसलिये राज्य सरकार सुरक्षा की जिम्मेदारी पूरी करेगी. आज हम सब देख रहे हैं कि राज्य सरकार ने किस प्रकार अपनी जिम्मेदारी पूरी की. झांसी में अतीक के बेटे की गैरन्यायिक हत्या के एकदम बाद अतीक और अशरफ की हत्यायें चौंकाने वाली हैं.

2006 में योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से सांसद थे, तब संसद में उन्होंने स्पीकर सोमनाथ चटर्जी के सामने रोते हुये उत्तर प्रदेश में उनके साथ हो रहे तथाकथित उत्पीड़न की शिकायत की थी. आज वे सत्ता में हैं, उनकी सरकार ने विरोधियों के खिलाफ खुलेआम आतंक, बदले की कार्यवाही और उत्पीड़न—दमन का राज कायम कर दिया है. अतीक अहमद, जो खुद भी आदित्यनाथ की तरह साल 2004 से 2009 तक फूलपुर से संसद के सदस्य थे, की हत्या से स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश में कानून के राज की कोई जगह नहीं बची है और आतंकी बुलडोजरों तथा गैरन्यायिक ‘एनकाउन्टरों’ के सहारे शासन के नाम में अराजकता को संस्थाबद्ध कर दिया गया है.

कानून के राज के खात्मे के कारण सभी धर्मों और जातियों के नागरिक वहां दिनोंदिन और ज्यादा असुरक्षित जीवन जीने को अभिशप्त हो गये हैं. उ. प्र. में 29 सितम्बर 2018 को लखनउ में पुलिस द्वारा ऐप्पल के मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव विवेक तिवारी की हत्या, 20 जुलाई 2020 को गाजियाबाद के पत्रकार विक्रम जोशी की हत्या, और 12 अप्रैल 2023 को सहारनपुर में ट्रांसपोर्ट मैनेजर शिवम जौहरी की लिंचिंग तीन ऐसी ही गंभीर घटनायें थीं जिन्होंने पहले भी स्पष्ट कर दिया था कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ का शासन वस्तुत: आतंक का शासन बन चुका है ,डा कैलाश पाण्डेय, जिला सचिव, नैनीताल,,भाकपा-माले,,

Ad Ad Ad Ad Ad
[masterslider id="1"]
Continue Reading
You may also like...

More in उत्तराखण्ड

Trending News

Follow Facebook Page