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उत्तराखण्ड

प्रतिभा बाल विद्यालय, बिंदुखत्ता में बच्चों के साथ चल रही दो दिवसीय कार्यशाला में बर्ड वाचिंग ,दिन में पेंटिंग एवम फिल्में में भी अपनी भागीदारी दी,

, बिंदुखत्ता में कार्यशाला के दूसरे दिन बच्चों ने जाना पक्षियों का संसार,बनाई पेंटिंग,देखी फिल्में…प्रतिभा बाल विद्यालय कार रोड़,बिंदुखत्ता में रचनात्मक शिक्षक मंडल की पहल पर चल रही कार्यशाला के दूसरे दिन आज।बच्चों ने जाना पक्षियों का संसार,बनाई पेंटिंग,देखी फिल्में।
प्रातकालीन सत्र में पक्षीविद विपिन शुक्ला ने बच्चों के साथ गौला नदी क्षेत्र में भ्रमण कर उनको स्थानीय पक्षियों के बारे में बताया।शुक्ला ने बताया उत्तराखंड में पक्षियों की लगभग 600 प्रजातियां पायी जाती हैं, जिसमें 350 के आसपास स्थानीय हैं। जबकि 250 पक्षी प्रवासी पक्षी हैं, जो विशेष रूप से जाड़ों के मौसम में हजारों किलोमीटर की यात्रा कर यहां पहुंचते हैं और गर्मी की शुरुआत होते ही अपने गृह क्षेत्रों को चले जाते हैं।
उन्होंने बताया कि प्रवासी पक्षियों में साइबेरियन पक्षी, एशियन पैराडाइज, स्केरलेट मिनिवेट्ट, स्विफ्ट हैं। इसमें स्विफ्ट मिस्र से आती है जिसको लक बर्ड स्थानीय भाषा में गोंताईं कहते हैं।यह स्थानीय परिवेश के इतने अनुकूल हो चुकी है कि यह अब स्थायी रूप से यहीं रहने लगी है। उनके द्वारा स्थानीय स्थायी पक्षियों की विशेषताओं के बाबत भी बताई गई।बच्चों को भ्रमण के दौरान विभिन्न पक्षी भी दिखाए गए।
फोटोग्राफी के टिप्स भी दिए गए।
दूसरे सत्र में प्रोनोबेस कर्मकार और टुंपा चक्रवर्ती ने पेंटिंग की प्रारंभिक जानकारियां दी। रंगों का प्रयोग पेंटिंग में कैसे किया जाता है बतलाया।बच्चे के भीतर कैसे कला के प्रति जागरूकता पैदा हो इसके टिप्स दिए।
तीसरे सत्र में बच्चों ने दो फिल्में देखी। चंदा के जूते और रेड बलून।चंदा के जूते इकतारा ग्रुप द्वारा निर्मित डॉक्यूमेंट्री है।जिसमें चंदा नामक एक बच्ची जो गरीब बस्ती में रहती है का प्रवेश एक प्राइवेट स्कूल में करवा दिया जाता है पर चंदा को जूते पहनना पसंद नहीं।फिल्म में भारतीय शिक्षा व्यवस्था की विसंगतियों को बहुत ही बेहतरीन तरीके से उठाया गया है।रेड बलून ऑस्कर पुरुस्कार प्राप्त फ्रेंच फिल्म है।फिल्म में एक बच्चे के लाल गुब्बारे से आत्मीय संबंध को दिखाया गया है।इस फिल्म में बच्चों के भीतर मौजूद संवेदनशील प्रवृति को बहुत ही बेहतरीन तरीके से सामने लाया गया है। इस दौरान प्रभात पाल,नवेंदु मठपाल,प्रधानाचार्य गिरीश तिवारी, गीता तिवारी,बलवंत बोरा,संजय कुमार हरीश दानू समेत 100 से अधिक बच्चों ने प्रतिभाग किया।

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