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उत्तराखण्ड

थानों की बीट रिपोर्ट के आधार पर गुंडा एक्ट लगा कर आर टी आई कार्यकर्त्ताओ का उत्पीड़न कतई मंजूर नहीं, एडवोकेट विकेश नेगी आर टी एक्टिविस्ट जिन्होंने भ्रष्टचार के मामले लगातार उठाये पर झूठी रिपोर्ट दें कर उनके सम्मान को ठेस पहुंचाने वालों पर भी कार्यवाही हो,

कुलदीप सिंह ललकार देहरादून,
देहरादून. राष्ट्र वादी आर टी एक्टिविस्ट एंड ह्यूमन राइट्स फेडरेसन भारत ने एडवोकेट विकेश नेगी को भरस्टाचार को उजागर करने की मँसा से पड़तारित करने वालो पर भी कार्यवाही की माँग करती है, राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलदीप सिंह ललकार ने कहाँ की सत्यमेव जयते अर्थात् जीत हमेशा सत्य की होती है, झूठ चाहें जितना भी बलवान हो वो हमेशा सत्य के आगे धारा शाही हो जायेगा उन्होंने कहाँ की आखिर एडवोकेट विकेश नेगी को गढ़वालआयुक्त के यह से न्याय मिला है, परन्तु बीट पुलिस की व्यस्था अपराध में रोक लगाने की थी, ना की आर टी आई कार्यकर्त्ताओ के उत्पीड़न की भारतीय संसद द्वारा पारित कानून व माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा धारा 5 में प्रत्येक भारतीय नागरिक को यह अधिकार प्राप्त है आज अधिकतर मामलों में आर टी आई कार्यकर्त्ता आपने उत्पीड़न की शिकायत करता है, तो पुलिस आपनी तरफ से झूठी रिपोर्ट लगा देतीं है की व्यक्ति आपने आस परोस के लोगों को आर टी आई के नाम से भय भीत करता है जब की वास्विकता ये है की आर टी आई से भरस्टाचारी ही घबरता है, और अगर कोहि आर टी आई कार्यकर्त्ता किसी को धमकाता है, तो पीड़ित व्यक्ति उस पर कार्यवाही के लिये स्वतंत्र होता है उन्होंने कहाँ की आज जाँच के नाम पर बंद कमरों में ऐसी अनेकों झूठी रिपोर्ट बना कर आम आदमी के अधिकारों मौलिक, मानवाधिकारों को कुचला जा रहा है सरकार को ऐसी झूठी रिपोर्ट बना कर कार्यवाही करने वालों पर कठोर कार्यवाही करनी चाहिए वहीँ आर टी आई एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश नेगी प्रकरण ने उत्तराखंड सूचना आयोग के सूचना आयुक्तो की भूमिका पर भी सवाल खड़े कर दिये भरस्टाचार को खोलने वाले आर टी आई कार्यकर्त्ता को उसके हॉल पर क्यों छोड़ा गया वहीँ राष्ट्रीय माह मंत्री वेद गुप्ता ने कहाँ की सूचना आयुक्तो की चुपी के आखिर क्या कारण है, जब की सूचना आयोग का कार्य केवल आर टी आई कार्यकर्त्ताओ को ना केवल सूचना अपितु उनके ऊपर हो रहें उत्पीड़न पर सज्ञान लेना है, पर आज दोनों ही मामलों में आयोग विफल हो रहा है ना तो सूचना आयोग सूचनाएँ दें पा रहा है अपितु आर टी आई कार्यकर्त्ताओ के उत्पीड़न में चुप रह कर, आज आर टी आई एक्टिविस्टो को अधिकारीयों के सामने सूचना अनुरोध कर्ता को ब्लैक लिस्ट की धमकी दें कर धमकाते है, जब रक्षक ही इस प्रकार का आचरण करें, तो फिर किससे गुहार लगाये भारी भरकम वेतन भते लेकर सूचना आयोग में सूचना ना दिलवा कर धारा 23का हवाला दें कर आपनी जिम्मेदारी माननीय हाई कोर्ट के कंधो में डाल रहें है जबकि हाई कोर्ट में पहले ही करोड़ो मामले चल रहें है इक तरफ माननीय सर्वोच्च न्यायालय केसों को आपसी सलह समझोते के आधार पर करने की बात करता है वहीँ प्रदेश अध्यक्ष राकेश भट्ट ने कहाँ की एडवोकेट विकेश नेगी आर टी आई एक्टिविस्ट का देहरादून पहुंचने पर उनसे मिलकर भेंट वार्ता करने के साथ साथ उनका देहरादून आने में स्वागत किया जायेगा उन्होंने कहाँ की माननीय सर्वोच्च न्यायालय आर टी आई कार्यकर्त्ताओ की सुरक्षा को लेकर पूर्व में राज्य सरकारों की जिम्मेदारी बता चुका है और पूर्व में भारत के गृह मंत्रालय द्वारा भी आर टी आई कार्यकर्त्ताओ की सुरक्षा को लेकर जिओ व आदेश सभी राज्यों को जारी कर चुकी है, परन्तु फिर भी उत्तराखंड में आर टी आई कार्यकर्त्ताओ का उत्पीड़न जारी है वहीँ प्रदेश माह मंत्री राकेश शर्मा ने कहाँ आज राज्य सूचना आयुक्त राज्य के अलग अलग विभागों की कार्य शाला आयोजित कर रहें है, परन्तु आम जनता को आर टी आई की जानकारी देने के इच्छुक प्रतीत नहीं होते ये बहुत ही दुर भाग्य पूर्ण है जबकि सूचना आयुक्त का कार्य यह था की वह आम जनता के लिये भी कार्य शाला आयोजित करता, परन्तु वह पूरी तरह से विफल हो रहा है वहीँ दूसरी तरफ राज्य सरकार पर सूचना आयुक्तो पर कोहि नियंत्रण नजर नहीं आ रहा है इस अवसर पर कृष्ण गोपाल रुहेला, अमित वर्मा राजकुमार, अरविन्द मल्होत्रा, एडवोकेट मनीष, दीपक गुसांईं, शुभम ठाकुर, बिजेंद्र सेमवाल, हेमंत शर्मा, राजेश नाथ, शिवम भट्ट, पारस थपलियाल, वैभव पंथ, अभिषेक राघव, गौरव नौटियाल आदि मौजूद थे ये बैठक चखुवाला कार्यलय में आयोजित की गईं

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